उप्र: पुरातन छात्रों से परिषदीय विद्यालयों का होगा कायाकल्प, अध्यापक करेंगे अपील
उप्र: पुरातन छात्रों से परिषदीय विद्यालयों का होगा कायाकल्प, अध्यापक करेंगे अपील

उप्र: पुरातन छात्रों से परिषदीय विद्यालयों का होगा कायाकल्प, अध्यापक करेंगे अपील

-बेसिक शिक्षा मंत्री ने 50 विद्यालयों के लिए दिये स्मार्ट टीवी उद्घाटन समारोह को किया सम्बोधित -कहा, एक अपील पर परिषदीय विद्यालयों ने 75 करोड़ का दिया था अंशदान लखनऊ, 15 दिसम्बर (हि.स.)। प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में पुरातन छात्र परिषद का गठन होगा। उन विद्यार्थियों के माध्यम से विद्यालयों के कायाकल्प की कोशिश की जाएगी। इसके लिए शासन स्तर से जल्द ही शासनादेश जारी होगा। ये बातें प्रदेश सरकार के बेसिक शिक्षा मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. सतीश द्विवेदी ने कही। वे लखनऊ के नरही में मंगलवार को एक परिषदीय विद्यालय से एचडीएफसी द्वारा पचास विद्यालयों के लिए दिए गये स्मार्ट टीवी के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि हम जब पढ़ते थे तो स्मार्ट क्लास की कल्पना भी नहीं कर सकते थे। आज यह सब देखने को मिल रहा है। हम जिस स्कूल में पढ़कर आये, वहां बैठने के लिए भवन भी नहीं था। यही उल्लेखनीय परिवर्तन है। आज 1,58,629 विद्यालय हैं। हमारे कई विद्यालय अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरे उतर रहे हैं। आज भी कई उच्च विद्यालयों में स्मार्ट क्लास न हों लेकिन जहां सबसे निम्न आय वाले लोगों के बच्चे जहां पढ़ते हैं, उन स्कूलों के लिए स्मार्ट क्लास की व्यवस्था हो रही हो, वहां उद्घाटन करने में सबसे ज्यादा प्रसन्नता हो रही है। अध्यापक अपने विद्यालय की व्यवस्था के लिए आस-पास के लोगों से करें अपील डॉ. द्विवेदी ने अध्यापकों से भी आह्वान किया कि वह सभी आस-पास के लोगों से अपने स्कूल के लिए फर्नीचर आदि की व्यवस्था करने की निवेदन करिये। उन्होंने कहा कि हम अपने लिये कुछ नहीं मांग सकते। लेकिन, अपने विद्यालय की व्यवस्था ठीक करने के लिए मांगने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए। उन्होंने उदाहरण दिया कि मदन मोहन मालवीय जी ने यदि हिचक की होती तो इतना बड़ा काशी हिंदू विश्वविद्यालय खड़ा नहीं हुआ होता। हम सभी की कोशिश कि परिषदीय विद्यालय हो जाएं स्मार्ट उन्होंने कहा कि हम कोशिश कर रहे हैं कि प्रदेश के सभी परिषदीय विद्यालय स्मार्ट हो जाएं। कई जिलों के कई विद्यालय आज स्मार्ट हो भी गये हैं। उसके लिए उन्होंने उदाहरण दिया कि हमारे विधानसभा क्षेत्र में एक अध्यापक ने अपने रुपये से बेंच-डेस्क का इंतजाम कर दिया। हम सभी अध्यापकों से ऐसा करने के लिए नहीं कहेंगे, क्योंकि इतना ज्यादा वेतन नहीं मिलता। लेकिन, हम दूसरों से सहयोग तो ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि मैं आज यहां एक कमरे में लगे टीवी का उद्घाटन करने नहीं आया हूं। मैं एक ऐसे कार्यक्रम में आया हूं, जहां पर आंखों पर लगी धूल को हटाया जा सकता है, जहां अभिभावक सोच भी नहीं सकता कि यहां ऐसा भी हो सकता है। मजबूरी में नहीं स्वाभाविक रूप से अभिभावक बच्चों के भेजें परिषदीय विद्यालय उन्होंने कहा कि हम सरकारी विद्यालयों को ऐसा बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं कि लोग मजबूरी में नहीं स्वाभाविक रूप से सरकारी स्कूल में पढ़ाने के लिए प्रेरित करे। उन्होंने कहा कि आज सड़क से होकर गुजरने में परिषदीय विद्यालय को देखकर लग जाता है कि यह परिषदीय विद्यालय है। इसके लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। लोग खुद भी आगे आकर मदद कर रहे हैं। कोरोना काल में दिए गये अंशदान की सराहना की उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी में एक अपील पर परिषदीय विद्यालय के अध्यापकों व कर्मचारियों ने एक दिन के अंशदान दे दिया। हमने 75 करोड़ रुपये मुख्यमंत्री को भेंट किया। उन्होंने कहा कि एक अपील पर प्रदेश के किसी भी सरकारी संस्थान में सबसे ज्यादा अंशदान परिषदीय विद्यालयों ने किया। दूसरे नम्बर पर पंचायती राज है, जिसका अंशदान 50 करोड़ रुपये के लगभग है। पूरे भारत में भी देखा जाय तो गृह मंत्रालय, जिसमें अर्धसैनिक बल आदि आते हैं, सबसे ज्यादा है, उसके बाद यूपी के परिषदीय विद्यालयों का ही सर्वाधिक अंशदान है। नूतन प्रयोग के लगे थे स्टाल इस कार्यक्रम में कोरोना काल में बेसिक शिक्षा में अध्यापकों द्वारा शिक्षा के लिए कुछ किये गये नूतन प्रयोग की प्रदर्शनी भी लगायी गयी थी, जिसे देखकर बेसिक शिक्षा मंत्री ने अध्यापकों की सराहना की और उसे प्रेरणा मिशन की पत्रिका में छपवाने के लिए डॉयरेक्टर को निर्देशित किया। हिन्दुस्थान समाचार/उपेन्द्र/संजय-hindusthansamachar.in

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