आठ पुलिस कर्मियों की शहादत स्थल पहुंचा जांच आयोग, जुटाये गये साक्ष्य
आठ पुलिस कर्मियों की शहादत स्थल पहुंचा जांच आयोग, जुटाये गये साक्ष्य

आठ पुलिस कर्मियों की शहादत स्थल पहुंचा जांच आयोग, जुटाये गये साक्ष्य

- आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति शशिकांत अग्रवाल ने ग्रामीणों से भी की बातचीत - दो माह में शासन को देनी है रिपोर्ट, कानपुर बनाया गया मुख्यालय कानपुर, 13 जुलाई (हि.स.)। सीओ समेत आठ पुलिस कर्मियों की हत्या करने वाला मुख्य अभियुक्त विकास दुबे एसटीएफ की मुठभेड़ में मारा गया। इसके बाद राज्य सरकार आठ पुलिस कर्मियों की शहादत से लेकर विकास के एनकांटर की पूरी जांच कराने का निर्णय लिया। पहले एसआईटी का गठन किया और फिर जांच आयोग का गठन किया गया। एक सदस्यीय न्यायिक आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति शशिकांत अग्रवाल सोमवार को बिकरु गांव पहुंचे और आठ पुलिस कर्मियों की शहादत स्थल का जायजा लिये। इस दौरान जांच आयोग के अध्यक्ष ने साक्ष्य जुटाते हुए ग्रामीणों से भी पूरी घटना को लेकर बातचीत की। एसआईटी के बाद न्यायिक आयोग ने बिकरू कांड और हिस्ट्रीशीटर विकास एनकाउंटर की जांच शुरू कर दी है। सोमवार को बिकरू गांव का दौरा कर घटना से जुड़े तथ्य जुटाए गए। आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति शशिकांत अग्रवाल ने घटनास्थल का दौरा कर स्थिति देखी। गांव में विकास दुबे के जमींदोज घर की जांच की। उस स्थान को भी देखा जहां पुलिस वालों पर गोलियां बरसाई गई थीं। उन्होंने साथ गए अधिकारियों से बात करने के बाद ग्रामीणों के बयान दर्ज किए। घटना से जुड़े अब तक के रिकॉर्ड कब्जे में लिए गए। जांच आयोग के अध्यक्ष के साथ जिलाधिकारी ब्रह्मदेव राम तिवारी और एसएसपी दिनेश कुमार पी भी थे। उन्होंने वह जगह देखी जहां जेसीबी लगाकर रास्ता रोका गया था। उस स्थान को भी देखा जहां सीओ देवेंद्र मिश्र की निर्मम हत्या की गई थी। दीवारों, शौचालय के दरवाजे पर लगे गोलियों के निशान देखे। प्रशासन ने उस स्थान का भी दौरा कराया जहां पुलिस कर्मियों के शव जलाने की योजना थी। विकास के घर में लगे नीम के पेड़ के नीचे बैठकर डीएम और एसएसपी से घटना के बारे में जानकारी ली। यहीं सीओ बिल्हौर, इंस्पेक्टर चौबेपुर, शिवराजपुर से पूछताछ की। लगभग सवा घंटा गुजरने के बाद वह सर्किट हाउस के लिए रवाना हो गए। देर से पहुंचे बिकरु कांड के घायल बिठूर एसओ बिकरु कांड के हमले में घायल बिठूर थानाध्यक्ष कौशलेन्द्र सिंह को भी मौके पर बुलाया गया था। उनके पहुंचने में देर हो गई तो जांच आयोग के अध्यक्ष सर्किट हाउस के लिए निकल गए थे। आयोग घटना के चश्मदीद से भी तहकीकात करना चाहता था। कौशलेंद्र बिकरू से सर्किट हाउस के लिए रवाना हुए लेकिन उससे पहले ही एसके अग्रवाल लखनऊ के लिए निकल गए। जांच आयोग का कानपुर है मुख्यालय बिकरू कांड के बाद मोस्टवांटेड विकास दुबे एनकाउंटर को लेकर विपक्षी दलों द्वारा तरह-तरह के सवाल उठाने और उसकी मौत से कई रहस्यों के दबाए जाने के आरोप लग रहे हैं। इन सबके बीच राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के माध्यम से जांच आयोग अधिनियम 1952 (अधिनियम संख्या 60 सन 1952) की धारा 3 के तहत सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति शशिकांत अग्रवाल के नेतृत्व में एक सदस्यीय जांच आयोग गठित करने का निर्णय लिया गया, इसका मुख्यालय कानपुर में होगा। सभी तथ्यों की जांच करने के साथ ही आयोग भविष्य में ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए अपने सुझाव भी देगा। दो माह की अवधि में जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंपी जाएगी। मीडिया से बनायी दूरी जांच आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति शशिकांत अग्रवाल बिकरु गांव में जानकारी जुटाते रहे और घटना के साथ विकास दुबे के आपराधिक इतिहास के बारे में भी जानकारी जुटाई। वहीं घटना में जिस तरह से असलहों का प्रयोग किया गया उसको लेकर उन्होंने अलग से अधिकारियों से पूछताछ की। आयोग के अध्यक्ष के बिकरु पहुंचने पर मीडिया भी पहुंच गयी पर अध्यक्ष मीडियाकर्मियों से दूरी बनाते हुए कोई बात नहीं की। हिन्दुस्थान समाचार/अजय/मोहित-hindusthansamachar.in

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