अनोखी प्रथाः गाय और सुअर से लड़ाई कराकर खेली गयी दिवाली
अनोखी प्रथाः गाय और सुअर से लड़ाई कराकर खेली गयी दिवाली

अनोखी प्रथाः गाय और सुअर से लड़ाई कराकर खेली गयी दिवाली

-जनपद के ग्रामीण इलाकों में शाम तक खेली गयी लट्ठमार दिवाली हमीरपुर, 16 नवम्बर (हि.स.)। जनपद में सोमवार को सदियों पुरानी परम्परा की दिवाली खेली गयी। ढोल नगारों के बीच सुअर और गाय से लड़ाई करायी गयी। गाय और सुअर की अनोखी लड़ाई के बीच मौन साधकों ने दिवाली खेली। इसे देखने के लिये ग्रामीणों की भारी भीड़ जुटी। कोरोना संक्रमण काल में अनोखी परम्परा की दिवाली की अभी भी धूम मची हुयी है। हमीरपुर शहर में अनोखी परम्परा की दिवाली में यहां सुअर को रस्सी से बांधकर लाया गया फिर इसे गाय के सामने फेंका गया। गाय ने सुअर को पैरों से जमकर रौंदा। अनोखी परम्परा के गाय और सुअर की लड़ाई देखने के लिये स्थानीय लोगों की भीड़ जुटी। दिवाली नृत्य करने वालों ने काफी देर तक गाय और सुअर के बीच भिडंत करायी, फिर आपस में लट्ठमार दिवाली खेली। बाद में घायल सुअर के कान काटे गये फिर अनुष्ठान कर उसे मैदान से खदेड़ दिया। अनोखी दिवाली में पहली बार सुअर बेदम होने से बच गया। जिले के सुमेरपुर, कुरारा व मुस्करा समेत कई गांवों में लट्ठमार दिवाली खेलकर सुअर और गाय के बीच लड़ाई करायी गयी। यहां के साहित्यकार डा.भवानीदीन ने बताया कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र के ज्यादातर इलाकों में गायों के पैरों के नीचे सुअर रखा जाता है जिससे गाय के हमला करने से सुअर बेदम भी हो जाता है। इसके बाद यादव जाति के लोग लट्ठमार दिवाली खेलते हैं। उन्होंने बताया कि ये परम्परा सिर्फ बुन्देलखण्ड के इलाकों में कायम हैं। उधर मुस्करा क्षेत्र के खड़ेहीलोधन गांव में गाय व सुअर को लड़ाने की सदियों पुरानी परम्परा कायम है। गांव के लोग सबसे पहले सुअर को रस्सी से बांधकर गली कूचों में घसीटा गया फिर इसे गाय से लड़ाने के लिये कार्यक्रम किया गया। गांव के पाही पाल, अर्जुन यादव, सुरेन्द्र यादव, सिद्ध गोपाल व बृजेन्द्र ने बताया कि सुअर के बच्चे के माथे पर अक्षत व रोली का टीका लगाकर उसे रस्सी से बांधकर लाया जाता है फिर इसके साथ दिवाली खेली जाती है। बाद में सुअर को पूरे गांव की गलियों से घसीटते हुये दिवाली खेलने वालों को सौंप दिया जाता है। गांव के मंदिरों के रास्ते होकर मौन पूजा करने वाले राहुनियां मुहाल बाली जगह में सुअर को ले जाकर गाय के साथ लड़ाई करायी जाती है। जिले के सुमेरपुर, कुरारा, राठ व मौदहा क्षेत्र के दर्जनों गांवों में इस परम्परा की दिवाली शाम तक खेली गयी। कोरोना संक्रमण काल में ये दिवाली देखने के लिये हर जगह लोगों की भीड़ उमड़ी। हिन्दुस्थान समाचार/पंकज/राजेश-hindusthansamachar.in

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