अनिद्रा, याददास्त, एनीमिया और अवसाद के लिये म्युजिक थेरेपी कारगर : डॉ. अर्चना म्हस्कर
अनिद्रा, याददास्त, एनीमिया और अवसाद के लिये म्युजिक थेरेपी कारगर : डॉ. अर्चना म्हस्कर

अनिद्रा, याददास्त, एनीमिया और अवसाद के लिये म्युजिक थेरेपी कारगर : डॉ. अर्चना म्हस्कर

पीठ का दर्द स्वाधिष्ठान चक्र से जुड़ा, ठीक करने के लिये ऋषभ की साधना करें वाराणसी, 06 अगस्त (हि.स.)। बनारस घराने से ताल्लुक रखने वाले प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक बंधु पद्मभूषण पंडित राजन और साजन मिश्र की शिष्या डॉ. अर्चना म्हस्कर ने कहा कि संगीत चिकित्सा से शान्ति, सुकून, सुख इत्यादि की अनुभूति होती है। हमारे शरीर मे सात चक्र माने गये हैं जो ऊर्जा के स्रोत होते हैं, वही सात स्वरों से जुड़े रहते हैं। संगीत साधना जीवन की कला है जिससे व्यक्तित्व का विकास होता है। डॉ. अर्चना गुरूवार शाम सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के वेद विज्ञान अनुसंधान-केंद्रम के तत्वावधान में आयोजित वेद व्याख्यानमाला के "संगीत चिकित्सा" विषयक सत्र को वर्चुअल सम्बोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि सामवेद से संगीत की उत्पत्ति मणि गई है। अथर्ववेद में बहुत ऐसे मन्त्र हैं जिनसे चिकित्सा होती है। गम्भीर आवाज से पित्त का उपचार होता है। मीठी आवाज से कफ को दूर किया जाता है। डॉ. अर्चना के अनुसार शब्द कौतुहल में ध्वनियों से रोगों का निवारण का वर्णन मिलते हैं। समुद्रगुप्त के वीणावादन के समय बसंत ऋतु का आभास होता था। हृदय रोग के लिये सारंग दरबारी लाभदायक डॉ. अर्चना म्हस्कर ने बताया कि हृदय रोग के लिये सारंग दरबारी लाभदायक है। अनिद्रा, याददास्त, एनीमिया और अवसाद इत्यादि के लिये म्युजिक थेरेपी करनी चाहिये जो कि अत्यंत लाभप्रद होती है। उन्होंने बताया कि संगीत एक बाईलोजिक प्रक्रिया है। शरीर के सात चक्रों मे मूलाधार चक्र 'सा' की आराधना से ठीक किया जाता है। पीठ का दर्द स्वाधिष्ठान चक्र से जुड़ा है जिसे ठीक करने के लिये ऋषभ की साधना करनी होगी। इसी प्रकार अन्य चक्रों से भी विभिन्न प्रकार के रोगों का उपचार किया जाता है। उन्होंने कहा कि संगीत के लिये स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि यह एक ऐसी शक्ति है जिसके द्वारा हम ईश्वर से सीधे जुड़ सकते हैं। संगीत ईश्वर का द्वार है। संगीत चिन्तन है, मनन है,समर्पण है। उन्होंने कहा कि संगीत हमें भौतिक घटनाओं से दूर करती है, संगीत चिकित्सा का वर्णन हमें वेदों,पुराणों से मिलती है वेद ज्ञान का भंडार है। संगीत चिकित्सा से हमें सुकून मिलता है डॉ. अर्चना के अनुसार संगीत चिकित्सा से हमें सुकून मिलता है चिन्ता से मुक्ति प्राप्त होती है। कार्यक्रम के समापन में डॉ अर्चना ने "विश्वेश्वर दर्शन कर चलो मन तुम काशी" एवं "बोलो राम-राम-राम, सीता राम-राम-राम" भजन सुनाकर सभी श्रोताओं के मन को मुग्ध कर दिया। सत्र की अध्यक्षता कुलपति प्रो.राजाराम शुक्ल ने की। इसमें प्रो. महेंद्र नाथ पान्डेय,प्रो. हरिप्रसाद अधिकारी, प्रो रमेश प्रसाद, प्रो. अमित कुमार शुक्ल, डॉ. सत्येंद्र कुमार यादव आदि शामिल हुए। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/दीपक-hindusthansamachar.in

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