Yogi government's claim to make malnutrition free is false: Ajay Kumar Lallu
Yogi government's claim to make malnutrition free is false: Ajay Kumar Lallu

प्रदेश की योगी सरकार का कुपोषण मुक्त बनाने का दावा झूठा : अजय कुमार लल्लू

- कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, सरकार कुपोषण के मानकों में हेराफेरी कर कुपोषण के आंकड़ों को छिपा रही लखनऊ, 11 जनवरी (हि.स.)। उ.प्र. कुपोषण, अल्प पोषण, बाल मृत्यु और बच्चों के शारीरिक विकास के अवरूद्धता से पीड़ित है। बिहार के बाद उप्र कुपोषण के मामले में दूसरे स्थान पर है। यहां का हर तीसरा बच्चा कुपोषित है। प्रत्येक वर्ष के सितम्बर माह को सुपोषण माह के रूप में मनाने का छलावा किया जा रहा है। यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में 46.5 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। वहीं राजधानी से सटे बाराबंकी जिले में 60,447 बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। ये बातें कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने सोमवार को कही। उन्होंने योगी सरकार पर आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में महज एक वर्ष शेष है। बीते चार सालों में कुपोषण की रोकथाम के लिए सरकारी कार्यक्रम और दावे महज कागजी साबित हुए हैं। नवजात शिशुओं को मिलने वाले पोषण के आंकड़े महज अफसरों की बाजीगरी है। यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दिनों मात्र 16 प्रतिशत बजट इस पर खर्च हो पाया है, जिसके चलते उप्र में बच्चों और गर्भवती महिलाओं में कुपोषण कीं सख्या में इजाफा हुआ है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि पिछले वर्ष ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह क्षेत्र गोरखपुर से सटे बस्ती जिले के कप्तानगंज थाने के ओझा गंज गांव के निवासी हरीश चन्द्र का पूरा परिवार कुपोषण की भेंट चढ़ गया। हरिश्चन्द्र की दो बेटियां, एक बेटा और पत्नी की कुपोषण से मौत हो गयी। उप्र सरकार की नाकामी के चलते राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने स्वतः संज्ञान लिया और प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी। यह केन्द्र और प्रदेश की भाजपा सरकार के कुपोषण मुक्त भारत बनाने और स्वस्थ एवं सबल भारत बनाने के झूठ को आईना दिखाता है। अजय कुमार लल्लू ने कहा कि प्रदेश में सर्वाधिक युवाओं की आबादी है। ऐसे में यदि बच्चे कुपोषित होंगे तो उनके भविष्य का क्या होगा, यह बहुत ही चिन्ता का विषय है। अजय कुमार लल्लू ने योगी सरकार पर आरेाप लगाया कि उनकी और उनके मंत्रियों की उदासीनता के चलते पुष्टाहार योजना दम तोड़ चुकी है। प्रदेश की गर्भवती महिलाएं व नवजात शिशुओं की असमय मौत (मोरालटी रेट) में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। प्रदेश में पोषण पुनर्वास केन्द्र की हालत खस्ताहाल है। सरकार कुपोषण से ईमानदारी से निपटने की बजाए कुपोषण के मानकों में कटौती करके कुपोषण के आंकड़ों को छिपाने का काम कर रही है। हिन्दुस्थान समाचार/उपेन्द्र/राजेश-hindusthansamachar.in

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