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योगी सरकार ने स्किल मैपिंग के बाद अब तक 10.44 लाख श्रमिकों को दिया रोजगार

- ‘योगी के यूपी मॉडल’ को फिर मिली प्रशंसा, सुप्रीम कोर्ट ने की तारीफ - दक्षता के अनुसार उप्र में श्रमिकों को मिला रोजगार - कोविड में घर लौटे श्रमिकों की व्यवस्था के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को सराहा - अधिकांश प्रवासी श्रमिकों का समायोजन हुआ, इस बार चार लाख प्रवासी ही आए लखनऊ, 30 जून (हि.स.)। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कोरोना काल में स्किल मैपिंग के बाद अब तक 10,44,710 श्रमिकों को विभिन्न योजनाओं के तहत संघटित क्षेत्र में रोजगार मुहैया कराया है। उच्चतम न्यायालय ने भी अपने फैसले में कोविड-19 के कारण दूसरे प्रदेशों से घर वापस आने वाले श्रमिकों के लिए योगी सरकार द्वारा की गई व्यवस्थाओं की तारीफ की है। राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि शीर्ष अदालत ने संज्ञान लिया कि पोर्टल पर अपलोड डाटा के अनुसार उस दौरान कुल 37,84,255 श्रमिकों की घर वापसी हुई थी। स्किल मैपिंग के बाद अब तक 10,44,710 श्रमिकों को सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत संघटित क्षेत्र में रोजगार दिया जा चुका है। इसके अलावा अधिकांश को रोजगार से जोड़े जाने के कारण दूसरी लहर में सिर्फ चार लाख प्रवासी ही आए। कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ते हुए रोजगार के साथ-साथ विकास की कड़यिों को जोड़ते हुए प्रदेश सरकार ने न सिर्फ प्रवासी मजदूरों की घर वापसी कराई बल्कि उनके भरण पोषण की व्यवस्था करते हुए श्रमिकों को सरकार की स्वर्णिम योजनाओं के तहत रोजगार भी दिलाया है। प्रवक्ता ने बताया कि प्रवासी श्रमिकों की परेशानियों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने दो याचिकाओं को निस्तारित करते हुए उप्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की तारिफ की। कोरोना काल के दौरान प्रदेश सरकार ने श्रमिकों व कामगारों, ठेला, खोमचा, रेहड़ी लगाने वालों की भरण-पोषण की व्यवस्था को सुनिश्चित किया। लॉकडाउन के दौरान बड़ी संख्या में यूपी लौटे श्रमिकों को एक हजार रुपए का भरण-पोषण भत्ता दिया गया। उनको राशन किट का वितरण करने का बड़ा काम किया। उन्होंने कहा कि नीति आयोग, बाम्बे हाईकोर्ट, डब्ल्यूएचओ के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने भी योगी सरकार की सराहना की है। दक्षता के अनुसार श्रमिकों को दिया गया रोजगार उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार ने जिला मुख्यालय पर श्रमिकों की स्किल मैपिंग कराई और उनकी दक्षता के अनुसार स्थानीय स्तर पर उनको रोजगार देने का भी भरसक प्रयास किया। प्रदेश सरकार के इन प्रयासों का जिक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार के इन प्रयासों का जिक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में इस बाबत पंजीकरण से लेकर स्किल मैपिंग तक के कार्यो को खुद में बड़ा काम माना है। बता दें कि प्रदेश सरकार ने अपनी कई योजनाओं से इन श्रमिकों को जोड़ते हुए रोजगार दिया। पारदर्शिता के लिए बनाया गया पोर्टल प्रवक्ता के अनुसार राज्य सरकार अपने इन कार्यो के बारे में सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र भी दे चुकी है। यही नहीं पारदर्शिता के लिए http://www.rahat.up.nic.in नाम से एक पोर्टल भी बनवाया था। इसमें वापस आए श्रमिकों और उनके हित में सरकार द्वारा उठाए गए सभी कदमों की अपडेट जानकारी थी। कम्युनिटी किचन की पहल उन्होंने बताया कि जरूरतमंद प्रवासी श्रमिकों और अन्य को भूखा न रहना पड़े इसके लिए प्रदेश सरकार ने कम्युनिटी किचन की शुरुआत की जिसका उल्लेख सुप्रीम कोर्ट ने भी किया और अन्य राज्यों को भी यह व्यवस्था चलाने को कहा। 1,51.82 करोड़ रुपये 15.18 लाख प्रवासियों को किए गए हस्तांतरित सरकारी प्रवक्ता के अनुसार योगी सरकार ने कोरोना संक्रमण के दौरान प्रवासी कामगारों व श्रमिकों को सभी तरह की सुविधाएं पहुंचाई। इसके तहत परिवहन निगम की बसों के जरिए लगभग 40 लाख प्रवासी कामगरों व श्रमिकों को उनके गृह जनपदों तक भेजने, चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध कराने व उनको स्थानीय स्तर पर रोजगार दिलाने के लिए बड़े पैमाने पर व्यवस्था की गई। इसके साथ ही प्रवासी श्रमिकों को राशन किट वितरण के साथ ही आर्थिक सहायता देते हुए प्रति श्रमिक एक हजार रुपए की धनराशि भी ऑनलाइन माध्यम से दी। इन लाभों में से 20.67 लाख परिवारों ने लाभ उठाया, जिसमें से 16.35 लाख को 15-दिवसीय राशन किट प्रदान किया गया। कुल 1,51,82,67,000 रुपये 15.18 लाख प्रवासियों को हस्तांतरित किए गए हैं। राशन किट के अलावा योगी सरकार ने सामुदायिक रसोई की भी स्थापना की। हिन्दुस्थान समाचार/पीएन द्विवेदी

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