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चीनी मिलों की बिक्री की कैग रिपोर्ट पर योगी सरकार ने नहीं की कार्रवाई : किसान कांग्रेस

-गन्ना किसानों के समस्याओं और कृषि कानूनों के विरोध में 28 फरवरी को देवरिया में रैली वाराणसी, 26 फरवरी (हि.स.)। उत्तर प्रदेश किसान कांग्रेस ने गन्ना किसानों की समस्याओं को लेकर प्रदेश सरकार को निशाने पर लिया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि चीनी मिलों की बिक्री की कैग रिपोर्ट में बसपा सरकार की गलती उजागर हुई। योगी सरकार ने कैग रिपोर्ट पर कार्रवाई करने के बजाय बिकी हुई चीनी मिलों की जांच सीबीआई को दे दी। सीबीआई जांच का आज तक कोई परिणाम नहीं आया। पार्टी ने इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के निर्देशन में एसआईटी जांच कराने की मांग की है। किसान कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता संजय चौबे शुक्रवार को महानगर कांग्रेस कमेटी के मैदागिन स्थित कार्यालय में मीडिया से मुखातिब थे। चौबे ने सवाल उठाते हुए कहा कि चीनी मिलों की बिक्री की कैग रिपोर्ट में मायावती सरकार की गलती उजागर हुई, इसके बावजूद तत्कालीन अखिलेश यादव ने उन्हें बचाया। अखिलेश यादव की सरकार ने 10 और चीनी मिलों को बंद कर दिया। इसके पश्चात वर्तमान योगी सरकार ने न तो इसकी जांच कराई कि फायदे में रहने वाली मिलें घाटे में क्यों आयी? इन मिलों को क्यों बेचा गया? योगी सरकार ने मायावती सरकार पर कैग रिपोर्ट के आधार पर कोई कार्रवाई नहीं किया। जिसके कारण चीनी मिलों में भ्रष्टाचार व्याप्त हो गया। उन्होंने आरोप लगाया कि योगी सरकार ने गन्ना किसानों का चार साल से एसएपी में कोई वृद्धि नहीं किया। आखिर क्या कारण है की चीनी मिलों से निकलने वाले शीरे का रेट काफी कम रहता है। लेकिन उस शीरे से जब रम बनता है या शीरे से प्राप्त अल्कोहल से दवा बनती है तो रम या दवा बनाने वाली कंपनिया काफी फायदे में रहती है। सरकारी आंकड़ों का हवाला देकर कहा कि आखिर चीनी कंपनिया हमेशा घाटे में ही क्यों रहती है। उन्होंने कहा कि स्पष्ट है कि 1990 से भ्रष्टाचार का खुला खेल चल रहा है। इस पूरे मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के निर्देशन में एसआईटी से होनी चाहिए। जिससे सपा-बसपा और भाजपा के मिलीभगत और भ्रष्टाचार का खुलासा हो सके। संजय चौबे ने कहा कि आजादी के बाद से 1990 तक उत्तर प्रदेश में 148 चीनी मिले थीं। सभी मिले विकास के पथ पर दौड़ रही थीं । गन्ना किसानों कि स्थिति काफी अच्छी थी। उत्तर प्रदेश में गन्ना उद्योग के रूप स्थापित हो चुका था, लेकिन 1990 में कांग्रेस की सरकार जाने के बाद चीनी मिलों की स्थिति काफी खराब होने लगी। कई मिलें बंदी के दौर से गुजरने लगी। किसानों का बकाया ज्यादा रहने लगा। इसका सीधा असर पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसानों पर पड़ा। पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसानों ने गन्ने की खेती करना कम कर दिया जिससे पूर्वांचल में गन्ना उद्योग खत्म होने लगा। उन्होंने बताया कि आज कि तारीख में पश्चिम उत्तर प्रदेश में केवल 70 फीसदी मिलें ही चालू हैं। मध्य उत्तर प्रदेश में केवल 40 फीसद मिलें ही चालू हैं। पूर्व कि स्थिति इससे भी खराब है और इस स्थिति में भी गन्ना किसानोंं का सरकार के उपर 12000 करोड़ रुपया से ज्यादा बकाया है। उन्होंने बताया कि गन्ना किसानों की समस्याओें और कृषि कानूनों के समर्थन में आंदोलन रत किसानों के समर्थन में पार्टी प्रदेश के देवरिया जिले के बैतालपुर में 28 फरवरी को बड़ी रैली करने जा रही है। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/दीपक

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