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विश्व शांति के लिए योग एक विज्ञान, इसे करें आत्मसात - ज्योति भूषण

गोंडा, 20 जून (हि.स.)। विश्व शांति के लिए योग एक विज्ञान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर देश ही नहीं दुनिया भर के लोगों ने इसे आत्मसात किया है। यह बातें घर-घर योग की अलख जगा रहे ज्योति भूषण त्रिपाठी ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की पूर्व संध्या पर लोगों को घरों में रहकर प्रतिदिन योग करने के प्रति प्रेरित करते हुए कहा। उन्होंने कहा कि इस विधा को अपनाने वाले लोग स्वस्थ रहने के साथ-साथ प्रसन्न चित्त भी रहते हैं। जनपद के मनकापुर तहसील के गांव कुन्जलपुर में जन्मे ज्योति भूषण बताते हैं उनका बचपन से ही खेलकूद और व्यायाम के प्रति विशेष रूचि थी। जब वह इंटरमीडिएट में पढ़ रहे थे, उस समय से ही उन्होंने योग के तमाम आसन का अभ्यास करना शुरू कर दिया था। अवध विश्वविद्यालय से योग में परास्नातक की उपाधि प्राप्त करने के बाद अपने मन में समाज को इसका लाभ देने का संकल्प लिया। वर्ष 2001 में प्रयागराज के महाकुंभ में योग के तमाम मर्मज्ञ से मिलकर योग की तमाम जटिलताओं को प्रयोगात्मक रूप से सीखने का अवसर मिला। इस विधा को अपने जीवन-यापन का जरिया बनाने में भी इन्हें कामयाबी मिली। वर्तमान में राजकीय होम्योपैथिक चिकित्सालय में योगा सहायक के पद पर तैनात हैं। अयोध्या के राजघराने में योग की पाठशाला चलाने वाले गुरु से मिली प्रेरणा योग शिक्षक ज्योति भूषण बताते हैं कि जब अयोध्या के राजघराने में योग की शिक्षा दे रहे पंडित वीरेंद्र शास्त्री से उनकी मुलाकात हुई। तो उन्होंने शिक्षा के साथ-साथ योग कक्षा करने की प्रेरणा दी। कुछ दिनों तक योग की पाठशाला में सीखने सिखाने के साथ-साथ इसे निरंतर जारी रखने के लिए मैं प्रतिदिन घंटों अभ्यास करता रहा। योग चिकित्सा और स्वास्थ्य का संवाहन त्रिपाठी बताते हैं कि योग की परम्परा कुल्लू मनाली में स्थित अंतरराष्ट्रीय मेडिएशन केंद्र के संस्थापक स्वामी श्याम व देश और दुनिया में ख्याति प्राप्त आचार्य बीकेएस आयंगर पर आधारित है। यह परम्परा चिकित्सा और स्वास्थ्य का संवाहन करती है। देश और दुनिया का सबसे भयानक रोग तनाव और जीवनचर्या का अस्त-व्यस्त होना, हमारा योगाभ्यास स्वस्थ लाभ देना शुरू करता है। साधक को योग के पहले दिन की कक्षा समापन होते ही उसका तनाव भरा शरीर प्रसन्नता से ओत-प्रोत हो जाता है। बहुत सारी बीमारियां जैसे अनिद्रा, तनाव, अवसाद, मानसिक रोग कब दूर हो जाते हैं व्यक्ति को पता नहीं चलता। उच्च रक्तचाप, अस्थमा, मोटापा, शुगर, थायराइड, पीठ दर्द, फैटी लीवर, साइनस, हार्ट डिसीज, नपुंसकता जैसे रोगों पर योग के बहुत अच्छे परिणाम आए हैं। क्षेत्र के हजारों लोगों को योग कराकर निरोग बनाया है। इनके गांव के बच्चे से लेकर बूढ़े तक करते हैं योगा समाज को स्वस्थ एवं तनाव मुक्त बनाने का सपना अपने मन में संजोए योग शिक्षक बताते हैं कि शुरुआती दौर में उन्होंने योग के प्रति अपने गांव के लोगों को जागरूक करने का काम शुरू किया। पहले तो लोग इस से कतराते थे। लेकिन जब योग के महत्व को नज़दीकियों से समझा तो अधिकांश लोग इसका हिस्सा बनने लगे। वर्तमान समय में गांव के बच्चे से लेकर बूढ़े तक योग के तमाम आसन को बड़ी ही कुशलता के साथ करते हैं। त्रिपाठी बताते हैं कि राजकीय कामकाज के बाद समय मिलने पर अपने घर पर निःशुल्क योग की कक्षाएं चलाते हैं। जिसमें गांव सहित आसपास के क्षेत्रों के लोग इनसे योग सीखने आते हैं। देश भर में चल रहे कोरोना संक्रमण के कारण उनकी मुहिम की गति थोड़ा धीमी जरूर पड़ी है। फिर भी प्रोटोकॉल का पालन करते हुए आज भी लोगों को इस विधा में पारंगत करने की कोशिश कर रहे हैं। कहा कि देश ही नहीं पूरे विश्व में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस इसलिए मनाया जाता है कि दिन सूर्य की किरणें सबसे अधिक समय तक पृथ्वी पर रहती हैं। इसका तात्पर्य मनुष्यों की दीर्घायु से भी है । हिन्दुस्थान समाचार/महेन्द्र/विद्या कान्त

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