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हमीरपुर में मनरेगा के 15 करोड़ के भुगतान पर निकासी पर लगी रोक

- शासन की टीएसी जांच कर साथ ले गई मनरेगा कार्याे के अभिलेख हमीरपुर, 24 फरवरी (हि.स.)। मनरेगा योजना के सामग्री मद में महज 17 सेकंड में रातों-रात 15 करोड़ का भुगतान जिले के दो ब्लॉकों में होने के बाद शासन से टीएसी (तकनीकी लेखा परीक्षक समिति) ने बुधवार को सप्लायरों के खातों में रोक लगा दी है। टीम किए गए भुगतान की गहनता के साथ छानबीन कर रही है। बीते 19 जनवरी को प्रदेश सरकार ने मनरेगा योजना के प्रशासनिक मद में बची 49 करोड़ की धनराशि को सामग्री मद परिवर्तित कर दिया और निर्देश दिया कि प्रदेश के सभी ब्लाक प्राथमिकता के कार्यों का भुगतान कर दें। लेकिन सामग्री खाते में धनराशि आते ही उसी रात जिले के मौदहा विकासखंड में 12 करोड़ से अधिक व सुमेरपुर विकासखंड में करीब तीन करोड़ रुपये का भुगतान कर लिया गया। कुल 15 करोड़ का भुगतान महज 17 सेकंड में कर लेने से लखनऊ से लेकर दिल्ली तक हड़कंप मच गया। इन दोनों ब्लाकों का चार्ज खंडविकास अधिकारी अभिमन्यु सेठ के पास है। एक ही बीडीओ द्वारा दोनों ब्लाकों में सर्वाधिक भुगतान कर लेने पर सुबह होते ही भुगतान की सत्यता परखने के लिए शासन ने टीएसी जांच टीम गठित कर दी। शासन की टीम पिछले 20 फरवरी को मुख्यालय आई और 21 फरवरी को सुबह से ही मौदहा विकासखंड पहुंचकर अभिलेख खंगालने शुरू कर दिए। टीम ने भुगतान किए गए सप्लायरों का रिकॉर्ड खंगालने के साथ पंचायतों में कराए गए मनरेगा के पक्के कार्याे का स्थलीय सत्यापन किया। फिलहाल अधिकारी टीम को सब कुछ चकाचक मिलने की बात कह रहे हैं। लेकिन टीम ने फर्मों को किए गए भुगतान की निकासी पर रोक लगा कराए गए कार्यों का रिकॉर्ड साथ ले गई है। जांच कार्य पूर्ण होने के बाद खाता खुलने की उम्मीद है। भुगतान पर रोक लगने से पंचायतों को निर्माण सामग्री देने वाले सप्लायरों में हड़कंप मचा है। अधिकारियों को उम्मीद है कि जल्द ही खातों में लगाई गई रोक हट जाएगी। फिलहाल इस प्रकरण में कोई भी अधिकारी कुछ भी बयान बताने से कतरा रहे हैं। मुख्य विकास अधिकारी कमलेश कुमार वैश्य ने बुधवार को बताया कि भुगतान प्रक्रिया में शासन व अधिकारियों के निर्देश का पालन नहीं किया गया है। इसलिए संबधित अधिकारियों व कर्मचारियों से स्पष्टीकरण मांगा गया है। टीएसी टीम ने कार्यों की जांच की है। जिसमें सब कुछ ठीकठाक मिला है। बताया कि किसी तरह का फर्जी भुगतान नहीं हुआ। लेकिन जब तक शासन से क्लीन चिट नहीं मिलती तब तक खातों में रोक जारी रहेगी। रोजगार गारंटी परिषद अध्यक्ष के ट्यूट पर आया भूचाल शासन के सख्त निर्देशों के बाद भी मनरेगा में 15 करोड़ की धनराशि का भुगतान करने का मामला रोजगार गारंटी परिषद के अध्यक्ष संजय दीक्षित ने सोशल मीडिया में उछाल दिया। उन्होंने कमेंट किया कि बुंदेलखंड के एक जनपद ने 15 करोड़ का भुगतान कर लिया। जबकि बाकी जनपद बिल्कुल भी डोगल नहीं कर पाए। अपने ट्यूट में सेटिंग की बू आने की बात लिख दी। इस ट्यूट के बाद शासन स्तर पर आए भूचाल के बाद मामले में टीएसी जांच बैठाई गई। पिछले 16 फरवरी को मनरेगा सेल की ओर से सामग्री अंश में 170.70 करोड़ की धनराशि जारी की थी। जिसमें स्पष्ट किया गया था कि प्रदेश के विकासखंड इस धनराशि से कारीगर, पंचायत भवन, सामुदायिक शौचालय, व्यक्तिगत लाभार्थी परक कार्याे में सामग्री पर खर्च भुगतान किया जाना है। जिसके लिए 25 करोड़ व महिला मेट के लिए 10 करोड़ की धनराशि आरक्षित रखा जाना है। आदेश में स्पष्ट किया गया था कि राजमिस्त्री, मेट, अन्य कुशल व अर्थ कुशल मद का भुगतान प्राथमिकता पर किया जाए। इसके अलावा ग्राम पंचायत में निर्माणाधीन पंचायत भवन व सामुदायिक शौचालय के निर्माण का भुगतान किया जाए। अन्य मदों में इसका व्यय नहीं किया जाना है। अगर किसी ने किया तो उसे वित्तीय अनियमितता मानी जाएगी। हिन्दुस्थान समाचार/ पंकज

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