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वसीम रिज़वी दुवारा कुरान की आयात के खिलाफ दायर याचिका का किया विरोध

औरैया, 18 मार्च (हि. स.)। गुरुवार को शहर क़ाज़ी औरैया/जामिया समदिया के प्रबंधक मौलाना सैयद ग़ुलाम अब्दुस्समद चिश्ती ने मीडिया के माध्यम से बताया कि बीते ग्यारह मार्च को दुनिया के मलऊन शख़्स वसीम रज़वी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में इस्लाम धर्म की सबसे पवित्र किताब क़ुरान मजीद की छब्बीस आयात को क़ुरान से हटाने के लिए जो याचिका दायर की गई है उससे भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के मुसलमानों में ग़म व गुस्से की लहर दौड़ गयी है। इस मरदूद व्यकि के ज़रिए आये दिन इस्लाम धर्म के मानने वालों के दिल को ठेस पहुँचती रहती है । इससे पहले भी पैगंबर साहब की पत्नी उम्मुल मोमिनीन हज़रत आयशा सिद्दीका के ऊपर एक फ़िल्म बनाने की कोशिश की गई जिसमें कामयाबी नहीं मिली मगर अबकी बार इस मरदूद व्यक्ति वसीम रिज़वी ने वो हरकत की जो पूरी दुनियां के किसी भी हिस्से में अबतक नहीं हुई। उन्होंने वसीम रिज़वी की क़ुरान की आयात के खिलाफ़ दायर याचिका को लेकर बहुत ही ग़म करते हुए सख़्त गुस्से के साथ कहा कि ये मरदूद सलमान रुश्दी का भाग-2 है उन्होंने बताया कि क़ुरान दुनिया की एक ऐसी वाहिद किताब है जिसमें एक हर्फ और आयात तो क्या, ज़ेर-ज़बर को भी नहीं बदला जा सकता ये ख़ुदा की किताब है । जिसको देखने, पढ़ने और छूने से सवाब (पुण्य)मिलता है उन्होंने कहा वसीम रिज़वी का ईश्वर की सबसे पवित्र किताब के बारे में ऐसी हरकत करना बहुत ही अफसोसनाक और क्षमा योग्य नहीं है, शहर क़ाज़ी मौलाना सैयद गुलाम अब्दुस्समद चिश्ती ने सरकार से अपील की है कि इस मरदूद वसीम रिज़वी के ख़िलाफ़ सख़्त से सख़्त फैसला लें और उसे गिरफ्तार कर उसकी हरकतों पे सख़्ती दिखाएं इसकी ये हरकत इस्लाम धर्म के खिलाफ है जो क्षमा के योग्य नहीं है इसकी इस हरकत ने पूरे देश के मुसलमानों का अमन सुकून छीन लिया है । और देश की शांति को भंग किया है वसीम रिज़वी जैसे नासूर जबतक इस देश और दुनिया मे रहेंगे तबतक इस देश मे भाई चारा नहीं बढ़ेगा इसकी ये करतूत हद से पार हो चुकी है जो हरगिज़ बर्दाश्त के क़ाबिल नहीं है उन्होंने आगे कहा मुसलमान क़ुरआन और सहाबा (जिन्होंने पैग़म्बर साहब को देखा )की शान में अदना बराबर भी बे अदबी और गुस्ताख़ी हरगिज़ बर्दाश्त नहीं कर सकता है शहर क़ाज़ी ने वसीम रिज़वी की इस बेहूदा हरकत का रद्द करते हुए कहा कि इसको क़ुरआन की शुरुआती शिक्षा की जानकारी नहीं है क़ुरआन का अध्ययन करने के लिए ज़रूरी है कि कौनसी आयत कब और क्यूँ नाज़िल(भेजी) गई,उसकी ख़ूबी के बारे में सही जानकारी हो। हिन्दुस्थान समाचार / सुनील

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