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विश्व शांति के लिए हिंसा उपाय नहीं-मोरारी बापू

-बुद्धस्थली कुशीनगर में प्रारम्भ हुई नौ दिवसीय रामकथा कुशीनगर, 23 जनवरी (हि. स.)। प्रख्यात रामकथा वाचक संत श्री मोरारी बापू ने कहा कि विश्व शांति के लिए हिंसा उपाय नहीं है। राम, कृष्ण, बुद्ध, परशुराम इन सभी महापुरुषों ने शस्त्र त्यागा है। लीला क्षेत्र में सभी ने आसुरी शक्तियों को निर्वाण देने का कार्य किया है। रामचरितमानस में भी गोस्वामी तुलसीदास ने निर्वाण शब्द का प्रयोग किया है। बुद्ध के निर्वाण की भूमि पर शनिवार देर शाम नौ दिवसीय रामकथा शुभारम्भ करते हुए मोरारी बापू ने कहा कि काफी पूर्व का संजोया मनोरथ था, जो पूर्ण हुआ। कथा को 'मानस-निर्वाण' नाम शीर्षक देते हुए बापू ने कथा को अरण्य काड से प्रारंभ करते हुए कहा कि मारीच के द्वारा निर्वाण शब्द का प्रयोग करने की बात कही है। राम के स्वभाव हिंसा करना नहीं है। उन्होंने किसी की हत्या नहीं की बल्कि निर्वाण दिया। धनुष बाण गुरु के चरणों में छोड़ दिया। राम, योगेश्वर कृष्ण, परशुराम व बुद्ध, चारों ने निर्वाण देने का कार्य किया। भगवान कृष्ण ने आसुरी वृति के विनाश के लिए युद्ध किया और अर्जुन व दुर्योधन के सामने हथियार छोड़ दिया। बड़े बड़े सम्राटों ने हिसा छोड़कर बुद्धम शरण गच्छामि की शरण ली। राम ने रावण कुल का निर्वाण किया पुनः अमृत वर्षा कर उन्हें नवजीवन प्रदान किया। बुद्ध ने भी निर्वाण का रास्ता पकड़ा, संसार का अवलोकन करने के बाद उनके भीतर निर्वाण की वेदना उठी थी। उन्होंने कहा कि मानस-निर्वाण कथा बौद्धिक रूप से जागृत मार्यादा पुरूषोतम भगवान श्रीराम के जीवन चरित्र पर आधारित है। जो मनुष्य को एक सफल जीवन जीने की प्रेरणा देगी। उन्होंने मुक्तोह्म, शुद्धयोहम, बुधोह्म की सीख देते हुए भारतीय बने रहने की जीवन की अनिवार्यता बताया। बुद्ध के अप्प दीपों भवः के यथार्थ को जीवन में आत्मसात करने की बात कही। वैदिक मंत्रोच्चार व बुद्ध वंदना के साथ हुआ शुभारम्भ मोरारी बापू की 854वीं रामकथा का शुभारंभ वैदिक मंत्रोच्चार व बुद्ध वंदना से हुआ। बौद्ध भिक्षुओं व सनातनी संत ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित किया। बौद्ध भिक्षु महेंद्र, भंते अस्स जी थेरो, भंते नन्दरत्न ने बौद्ध परंपरा के अनुसार बापू का स्वागत खादा भेंट कर किए। बापू ने भी सभी बौद्ध भिक्षुओं व सनातनी संतों का स्वागत अंग वस्त्र भेंट कर किया। मोरारी बापू के साथ आए संगीत मंडली द्वारा श्री राम चरित मानस के चौपाई का स्वरवद्ध तरीके से गायन किया गया। आयोजक श्री रामकथा प्रेमयज्ञ समिति अमर तुलस्यान , श्रवण तुलस्यान के परिजनों ने पुष्प भेंट कर बापू का स्वागत किया। जिसके बाद बापू रामकथा का वाचन आरंभ किए। श्रद्धालुओं का किया अभिवादन कथा व्यास की पीठ पर आसीन होने के पूर्व मोरारी बापू ने समक्ष बैठे श्रद्धालुओं का अभिवादन किया। व्यास पीठ की परिक्रमा की। सबसे पहले व्यास गद्दी के ठीक पीछे लगे वायु पुत्र हनुमत देव के विशाल चित्र को प्रणाम किया। उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ बुद्ध स्थली पर पहली बार आयोजित रामकथा मोरारी बापू की रामकथा का श्रवण करने के लिए कुशीनगर में सनातनी श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है। देश-विदेश से आए श्रद्धालु आए हैं। श्रद्धालुओं के आवास व भोजन की नि:शुल्क व्यवस्था विभिन्न होटलों व बौद्ध विहारों में कराई गई है। हिन्दुस्थान समाचार/गोपाल/दीपक-hindusthansamachar.in

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