जिनके जिह्वा पर नियंत्रण नहीं, वह पाश्विक वासनाओं पर नियंत्रण नहीं पा सकता : विनोद शंकर चौबे
जिनके जिह्वा पर नियंत्रण नहीं, वह पाश्विक वासनाओं पर नियंत्रण नहीं पा सकता : विनोद शंकर चौबे

जिनके जिह्वा पर नियंत्रण नहीं, वह पाश्विक वासनाओं पर नियंत्रण नहीं पा सकता : विनोद शंकर चौबे

- मानवोचित आहार-महात्मा गांधी विषय पर हुआ वेबिनार, पूर्व आइएएस ने कहा, वासना विजय जिह्वा विजय के साथ बंधी है लखनऊ, 24 जुलाई (हि.स.)। उत्तर प्रदेश गांधी स्मारक निधि से संबद्ध गांधी स्वाध्याय संस्थान के तत्वावधान में 'मानवोचित आहार-महात्मा गांधी' विषय पर वेबिनार हुआ। यह आयोजन शुक्रवार को शाम गांधी भवन के पुस्तकालय सभागार में आयोजित हुआ। इसमें पूर्व आईएएस विनोद शंकर चौबे ने कहा कि महात्मागांधी का अनुभव था कि जिसे जिह्वा का नियंत्रण प्राप्त नहीं है, वह पाश्विक वासनाओं पर नियंत्रण नहीं पा सकेगा। जिह्वा को जीतना आसान काम नहीं है, लेकिन वासना विजय जिह्वा विजय के साथ बंधी हुई है। जिह्वा विजय का एक उपाय मसालों का त्याग है। इससे भी बड़ा उपाय है कि हम मन को समझाते रहें कि भोजन का उद्देश्य शरीर को कायम रखना है, भांति-भांति का स्वाद लेना नहीं। उन्होंने कहा कि गीता युग से पहले कदाचित यज्ञ में पशु हिंसा मान्य रही हो लेकिन गीता में इसकी कहीं गंध तक नहीं है। भारतीय चिंतन में हमेशा सभी प्राणियों में ब्रह्म का वास माना गया है लेकिन विदेशी चिंतन शरीर में स्वास्थ्य के लिए या स्वाद के लिए जीव हत्या को उचित माना गया है। केपी मिश्र ने बताया कि महात्मा गांधी आधुनिक भारत के प्रथम न्यूट्रिशियन और डायट गुरु थे। तामसिक और सात्विक भोजन का उन्हें पूर्ण ज्ञान था। भोजन व उपवास पर उनके प्रयोग अहिंसा के समानान्तर चले हैं। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश गांधी स्मारक निधि के सचिव लाल जी राय ने कहा कि गांधी जी ने शाकाहार के फायदे बताये और इससे लोगों में जागरूकता बढ़ी। इसके अतिरिक्त इस कार्यक्रम में सर्वेश कुमार गुप्ता, अर्जुन प्रकाश सिंह, सुधा तिवारी आदि ने अपने-अपने विचार रखे। हिन्दुस्थान समाचार/उपेन्द्र/राजेश-hindusthansamachar.in

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