इविवि में जल्द ही ‘वर्क फ्राम होम’ व्यवस्था होगी स्थापित : कुलपति
इविवि में जल्द ही ‘वर्क फ्राम होम’ व्यवस्था होगी स्थापित : कुलपति

इविवि में जल्द ही ‘वर्क फ्राम होम’ व्यवस्था होगी स्थापित : कुलपति

प्रयागराज, 28 जुलाई (हि.स.)। आज के इस डिजिटल युग में इलाहाबाद विश्वविद्यालय सभी सामान्य सोशल मीडिया साईट्स जैसे फेसबुक, यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर उपलब्ध है। जल्द ही विश्वविद्यालय में एक ‘‘वर्क फ्राम होम’’ व्यवस्था स्थापित होगी, जो विश्वविद्यालय को एक ‘‘पेपरलेस ऑफिस’’ बनायेगी। इसका बीटा वर्जन चलाया जा रहा है और जल्द ही यह व्यवस्था सभी को दिखेगी। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सहयोग से विश्वविद्यालय में एक ‘‘सेण्टर ऑफ वोकेशनल स्टडीज एण्ड स्किल डेवलपमेंट’’ की स्थापना की गयी है। यह आत्मनिर्भर भारत की तरफ एक छोटा सा कदम है। यह बातें मंगलवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.आर तिवारी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कही। उन्होंने आगे कहा कि आज इस संकट की घड़ी में यह आवश्यक हो गया है कि हम सभी अपना और दूसरों का भी ख्याल रखें। इस अकादमिक सत्र में हम सभी एक ऐसी अभूतपूर्व स्थिति से गुजर रहे हैं, जिसकी हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी। एक अज्ञात, अदृश्य, अदना वायरस ने हम सभी को घरों में कैद कर दिया और विश्वविद्यालय परिसर की सभी गतिविधियों को बाधित कर दिया। उन्होंने कहा किसी भी विश्वविद्यालय के पांच प्रमुख अंग हैं शिक्षक, शिक्षणेत्तर कर्मचारी, प्रशासनिक अधिकारी, छात्र एवं पुरा छात्र। जिसमें से आखिरी दो अंग किसी भी संस्था अथवा देश की प्रगति के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं। छात्रों को यह समझना है कि विश्वविद्यालय शिक्षा का मंदिर है और यह उनका है। पुरा छात्रों को विश्वविद्यालय से जुड़कर उसकी बेहतरी के लिए अपने महत्वपूर्ण सुझावों को साझा करते हुए आज के छात्रों को बेहतर बनाने हेतु उनसे जुड़ना भी है। कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता, छात्र कल्याण के सहयोग से एक योजना बनाकर इसकी शुरूआत भी की थी। परन्तु अचानक आयी इस कोरोना महामारी ने हमारी योजना को तहस-नहस कर दिया। न जाने क्यों छात्र नेताओं को हमेशा ऐसा लगता है कि सिर्फ वे ही छात्र हित के बारे में सोचते हैं? यह हम सभी का दायित्व है कि छात्र सुरक्षित रहें। आज हम सभी जानते हैं कि केवल विश्वविद्यालय के छात्र ही नहीं बल्कि पूरा विश्व एक असमंजस की स्थिति में है। इसे ध्यान में रखते हुए ही विश्वविद्यालय की परीक्षा समिति ने निर्णय लिया कि परीक्षा का निर्धारित समय कम किया जाये, प्रश्नों की संख्या घटाई जाये और यदि किसी छात्र ने किसी परीक्षा में अच्छा नहीं किया तो उसे दुबारा उस प्रश्न पत्र की परीक्षा देने का अवसर प्रदान किया जाये। हम सभी शिक्षक जानते हैं कि ‘‘फेस-टू-फेस’’ शिक्षण के समय छात्रों के साथ विषय वस्तु के अलावा भावनात्मक जुड़ाव भी होता है। जो कहते हैं ऑनलाईन शिक्षण नहीं होना चाहिए, उनसे पूछना चाहता हूं कि यदि इसकी कोई सम्भावना नहीं दिख रही है तो क्या विश्वविद्यालय को बन्द कर दिया जाये? ऑनलाईन जुड़ाव में खराब बैंडविथ और अन्य कारणों की वजह से जुड़ने में समस्याएं हैं परन्तु सभी का कुछ समाधान भी है। इन समस्याओं को देखते हुए विश्वविद्यालय ने एक अपना लर्निंग पोर्टल ईजाद किया, जिसके माध्यम से छात्रों को उनके शिक्षकों की पाठ्य सामग्री विभागवार उपलब्ध कराई गयी। अंत में कहा कि आज कोई नहीं जानता कि कोरोना महामारी का अन्त कब होगा। परन्तु आज सभी जानते हैं कि यह जब भी होगा पोस्ट-कोरोना काल, प्री-कोरोना काल से कहीं भिन्न होगा। हम सभी नये नियमों के तहत कार्य करते दिखेंगे। हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in