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वाराणसी : पौष पूर्णिमा पर दुर्लभ संयोग में आस्थावानों ने लगाई गंगा में डुबकी, किया दान पुण्य

वाराणसी, 28 जनवरी (हि.स.)। घने कोहरे, कड़ाके की ठंड और सिहरन के बीच आस्थावान श्रद्धालुओं ने पौष पूर्णिमा पर गुुुरूवार को दुर्लभ पुष्य नक्षत्र में पवित्र गंगा में डुबकी लगा दान पुण्य किया। इस दौरान घने कोहरे में घाट पर पसरा सन्नाटा हर-हर गंगे काशी विश्वनाथ शंभों के उदघोष से टूटता रहा। स्नानार्थियों के आवागमन से घाटों पर चहल-पहल भी रही। स्नान पर्व पर भोर से ही श्रद्धालु कड़ाके के ठंड के बीच घाट पर स्नान के लिए पहुंचते रहे। दिन चढ़ने तक ये सिलसिला जारी रहा। स्नान के लिए दशाश्वमेध घाट, प्राचीन शीतला घाट, अहिल्याबाईघाट,पंचगंगा घाट,तुलसीघाट,अस्सीघाट, सामनेघाट पर श्रद्धालुओं की भीड़ रही। गौरतलब हो कि पौष मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को पौष पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन पौष मास का अंत होता है और माघ मास की शुरुआत होती है। इस बार पौष पूर्णिमा दुर्लभ संयोग में रही। ज्योतिषविद मनोज उपाध्याय ने बताया कि गुरुवार के दिन जब पुष्य नक्षत्र होता है, तब यह संयोग बनता है। पुष्य नक्षत्र के स्वामी शनिदेव हैं और देवताओं के गुरु बृहस्पति पुष्य योग के अधिष्ठाता गुरू हैं । इस दिन धनवृद्धि के लिए किए गए उपाय कारगर साबित होते हैं। किसी उद्देश्य से अगर कोई शुभ कार्य करते हैं तो मनचाही सिद्धि प्राप्त होती है। पूर्णिमा के संयोग से इस योग का महत्व और भी बढ़ जाता है। उन्होंने बताया कि इस योग में आरोग्य प्रापत करने के लिए सूर्य देव को अर्घ्य देकर उनकी पूजा करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि माघ माह में पूर्णिमा स्नान का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। संगम तट पर जो श्रद्धालु कल्पवास करते हैं। उनके लिए पूर्णिमा वाले दिन से स्नान की शुरूआत बेहद पुण्यदायक होती है। माघ महीना धार्मिक कार्यों के लिए खास महत्व रखता है। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर-hindusthansamachar.in

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