use-of-langur-to-drive-away-monkeys-at-charbagh-railway-station
use-of-langur-to-drive-away-monkeys-at-charbagh-railway-station

चारबाग रेलवे स्टेशन पर लंगूर की आवाज निकालकर बंदरों को भगाने का प्रयोग शुरू

लखनऊ,16 मार्च (हि.स.)। लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन पर 'कलंदर'(इंसान) द्धारा लंगूर की आवाज निकालकर बंदरों को भगाने का अनूठा प्रयोग शुरू हो गया है। यह प्रयोग अब 06 महीने तक चलेगा। रेलवे प्रशासन ने लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की सुरक्षा के लिए 'कलंदर की तैनाती कर दी है। इंसान द्धारा बंदरों को भगाने का अनूठा प्रयोग अब 06 महीने तक चलेगा। लखनऊ के अलावा अयोध्या, वाराणसी के रेलवे स्टेशनों पर भी बंदरों की आवाज निकालने वाले व्यक्तियों की नियुक्ति की गई है। रेलवे प्रशासन ने चारबाग स्टेशन से बंदरों को भगाने के लिए दूसरी बार प्रयोग शुरू किया है। पहली बार दो साल पहले चारबाग रेलवे स्टेशन पर लंगूर के जरिए बंदरों को भगाने का प्रयोग किया था, लेकिन पशु प्रेमियों आपत्ति के बाद वापस भेज दिया गया था। चारबाग स्टेशन पर बंदरों का आतंक रहता है। अक्सर बंदर यात्रियों पर हमला कर खाने-पीने के साथ अन्य चीजें भी छीन लेते थे। बंदर बिजली के तारों पर भी कूद पड़ते थे। इससे शॉर्ट-सर्किट होने से रेल आवागमन पर प्रभाव पड़ता था। कई बार तो करंट लगने से बंदर मर भी जाते थे। इन सब दिक्कतों को देखते हुए रेलवे प्रशासन ने चारबाग रेलवे स्टेशन पर 'कलंदर' की तैनाती कर दी है। इससे यात्रियों ने राहत की सांस ली है। अब यात्रियों को बंदरों की छीनाझपटी का डर नहीं सताएगा। चारबाग रेलवे स्टेशन पर बंदरों को भगाने के लिए तैनात किस्मत शाह ने मंगलवार को बताया कि वे पांच भाई हैं। सभी लोग बंदरों को भगाने के साथ अन्य कार्य में लगे हैं। उन्होंने बताया कि उनके चाचा ने 20 साल पहले दिल्ली में बंदरों को भगाने का कार्य शुरू किया था। तब बंदरों का उत्पात संसद भवन के पास के इलाके में था। इसके बाद से परिवार के सभी लोग बंदरों के कार्य से जुड़े हैं। हिन्दुस्थान समाचार/दीपक

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in