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उप्र : स्वास्थ्य सेवाएं सक्षम करने को लेकर एएसजीआई ने कोर्ट से मांगा समय, 27 मई को सुनवाई

प्रयागराज, 22 मई (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट में कोरोना के बढ़ते संक्रमण व प्रदेश की चरमराई स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर स्वतः कायम जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान एडिशनल सालिसीटर जनरल (एएसजीआई) एसवी राजू ने कोर्ट से प्रदेश के कुछ चुनिंदा जिलों की स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर कैसे बनाया जा सकता है, इस सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त करने के लिए कोर्ट से समय की मांग की। एएसजीआई ने कोर्ट से यह भी कहा कि उन्हें इस बात का भी पता करने के लिए समय दिया जाय कि सरकार के पास उत्तर प्रदेश में प्राइवेट डायग्नोस्टिक सेन्टर्स द्वारा डायग्नोस्टिक चार्ज की अधिकतम रकम को तय करने की क्या योजना है। जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा व जस्टिस अजीत कुमार की खंडपीठ ने एएसजीआई के इस अनुरोध को स्वीकार कर इस जनहित याचिका पर आगे सुनवाई के लिए 27 मई की तारीख नियत की है। अदालत केस की सुनवाई 11 बजे करेगी। बता दें कि हाईकोर्ट ने पिछली तारीख पर प्रदेश की चिकित्सा व स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर गम्भीर टिप्पणी की थी। कहा था कि चिकित्सा व्यवस्था 'राम भरोसे' है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी प्रदेश में कोरोना महामारी संक्रमण को लेकर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए प्रदेश के चिकित्सा व्यवस्था लेकर दिया था। कोर्ट ने कहा कि जब मेरठ जैसे बड़े शहर व मेडिकल कॉलेज में इतनी लापरवाही है तो प्रदेश के छोटे शहरों व कस्बों की चिकित्सा व्यवस्था राम भरोसे ही है। कोर्ट ने कहा था कि मरीज हास्पिटन में पूरी तरह से डाक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ के देखभाल में रहता है और अगर डाक्टर व तैनात पैरामेडिकल स्टाफ लापरवाही से ड्यूटी करेंगे तो उनका यह कार्य दुराचरण की श्रेणी में माना जाएगा। यह वैसा होगा, जैसे कि किसी मासूम के जीवन के साथ खिलवाड़ करना। कोर्ट ने एडिशनल चीफ सेक्रेटरी मेडिकल व हेल्थ को निर्देश दिया था कि वह हलफनामा दाखिल करे। कोर्ट ने बिजनौर जिला के मामले में वहां की चिकित्सा व्यवस्था को परखा था और वहां 31 मार्च से 12 मई तक कराए गए टेस्ट पर अपनी असंतुष्टि जताई थी। कोर्ट ने कहा था कि सरकार छोटे शहरों व कस्बों में चिकित्सा व्यवस्था को ठीक करें। कोर्ट ने कहा कि अधिकतर शहरों में लेवल-तीन हास्पीटल सुविधा नहीं है। शहरों में आबादी के हिसाब से व ग्रामीण क्षेत्रों में भी इस महामारी से निपटने के लिए जैसी व्यवस्था की जरूरत है, अभी अपर्याप्त है। कोर्ट ने कहा था कि समझ में नहीं आ रहा है कि सरकार, जिसे कल्याणकारी राज्य कहा जाता है, वह क्यों नहीं वैक्सीन उत्पादन का काम कर रही है। कोर्ट ने कहा था कि प्रदेश में सभी अस्पतालों व नर्सिंग होम की चिकित्सा व्यवस्था में सुधार किया जाय। कहा गया था कि एसजीपीजीआई में जैसी व्यवस्था व चिकित्सा सुविधा मुहैया है, उसी प्रकार यूपी के सभी पांच मेडिकल कालेजों व अन्य जगहों पर भी चार सप्ताह में चिकित्सा व्यवस्था ठीक किया जाय। इसके लिए जरूरी बजट व लैंड की व्यवस्था की जाय। हिन्दुस्थान समाचार/आर.एन/विद्या कान्त

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