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उप्र: बैंकों में दो दिन की हड़ताल से 60,000 करोड़ का लेनदेन प्रभावित

-राजधानी लखनऊ में लगभग 5,000 करोड़ के लेनदेन पर पड़ा असर लखनऊ, 16 मार्च (हि.स.)। यूनाइटेड फोरम आॅफ बैंक यूनियन्स के आवाह्न पर बैंककर्मियों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी रही। हड़ताल के चलते सभी सरकारी बैंकों के शाखाओं एवं कार्यालयों में ताले लगे रहे। दो दिनों की हड़ताल से लखनऊ में लगभग 5,000 करोड़ तथा प्रदेश में 60,000 करोड़ का लेनदेन प्रभावित रहा। बैंक हड़ताल पर इण्डियन बैंक (पूर्व इलाहाबाद बैंक) हजरतगंज में मंगलवार को सभा को सम्बोधित करते हुये एनसीबीई के महामंत्री केके सिंह ने बताया कि बैंक में जनता के जमा धन पर पूंजीपतियों और नेताओं की नजर है। बैंकों के निजीकरण होने पर सरकार उन्हें बड़े लोन स्वीकृत करायेगी फिर ऋण लेने वाला ऋण को एनपीए कराने के बाद मात्र 10 या 15 प्रतिशत धनराशि देकर ऋण का सेटलमेंट करा लेगा या देश छोड़कर भाग जायगा। उन्होंने कह कि विजय माल्या, नीरव मोदी, चन्दा कोचर आदि प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। जनता अब समझ चुकी है इसलिये आमजन हमसे जुड़ रहा है क्योंकि बैंक निजीकरण की लड़ाई बैंककर्मियों के साथ आमजनता की लड़ाई है। सभा में आॅल इण्डिया बैंक आफीसर्स कन्फेडरेशन (आॅयबाक) के अध्यक्ष पवन कुमार ने कहा कि एक ओर वरिष्ठ कर्मचारियों की सेवानिवृति होने के बावजूद पर्याप्त मात्रा में नये कर्मचारियों की भर्ती न होने से प्रति कर्मचारी कार्य का बोझ बढ़ता जा रहा है। दूसरी ओर सरकार ने मनमाने तरीके से बैंको का विलय किया, अब तो बैंकों का निजीकरण कर बेचने की तैयारी कर दी है, हम ऐसा होने नहीं देंगे। आॅल इण्डिया बैंक इम्पलाइज एसोसियेशन (एआईबीईए) के दीप बाजपेई ने कहा कि सरकार जनता की गाढ़ी कमाई, पूंजीपतियों के हितों के लिये, बैंकों का निजीकरण करके उन्हें सौंपना चाह रही है। यह जनता के साथ धोखाधड़ी है। बैंककर्मी तथा आम जनता इसे सफल नहीं होने देंगे। फोरम के प्रदेश संयोजक वाई.के.अरोडा ने कहा कि सरकार बैंकों का निजीकरण करके पूंजीपतियों के निजी स्वार्थ पूरा करना चाहती है। बैंककर्मी किसी भी कीमत पर सरकार की यह मंशा पूरी नहीं होने देंगे। जिला संयोजक अनिल श्रीवास्तव ने बताया सरकार बैंको का निजीकरण कर आमजन की सामान्य बैंकिग सुविधाए छीनना चाहती है यह आन्दोलन बैंककर्मियों का ही नहीं बल्कि आमजन का आन्दोलन है। मीडिया प्रभारी अनिल तिवारी ने बताया कि विभिन्न स्रोतों की जानकारी के अनुसार दो दिनों की हड़ताल से लखनऊ में लगभग 5,000 करोड़ तथा प्रदेश में 60,000 करोड़ का लेनदेन प्रभावित रहा। हड़ताल के दोनों दिन सरकारी बैंकों के लखनऊ जिले की 905 शाखाओं के 10,000 बैंककर्मी तथा प्रदेश की 14,000 शाखाओं के दो लाख बैंककर्मी शामिल रहे। लखनऊ में 990 एवं प्रदेश के 12,000 एटीएम मशीनों में से कई मशीनों में कैश समाप्त होने से लोग अपना रुपये नहीं निकाल सके। हड़ताल के कारण पेन्शनधारकों, वेतनभोगियों एवं आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ा। शाखाओं में जमा व निकासी, एफडी रिन्यू, ऋण सम्बन्धी कार्य, सरकारी खजाने से जुड़े एवं व्यापार से जुडे़ कामों पर भारी असर पड़ा। हिन्दुस्थान समाचार/संजय

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