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उप्र में प्रति घंटे निमोनिया से 4-5 बच्चों की हो रही मौत

-निमोनिया से बाल मृत्यु में कमी लाने के लिए आयोजित हुई प्रशिक्षण कार्यशाला लखनऊ, 17 फरवरी (हि.स.)। निमोनिया पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में होने वाली मृत्यु का एक प्रमुख कारण है तथा कुल होने वाली मृत्यु में से लगभग 15 प्रतिशत मृत्यु निमोनिया के कारण होती है। प्रदेश में प्रति घंटे 4-5 बच्चों की मृत्यु निमोनिया से हो जाती है। एसडीजी (सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स) के अनुसार 2030 तक बाल मृत्यु दर को घटा कर 25 प्रति एक हजार तक करने का लक्ष्य है। इसके लिए सांस कार्यक्रम का समुदाय एवं चिकित्सा ईकाइयों पर प्रभावी क्रियान्वयन अत्यंत आवश्यक है। यह बात अपर मुख्य सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण अमित मोहन प्रसाद ने बुधवार को एक कार्यशाला को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अन्तर्गत निमोनिया की रोकथाम एवं ससमय समुचित इलाज प्रदान कर पांच वर्ष से कम उम्र की आयु के बच्चों की मृत्युदर में कमी लाने के उद्देश्य से दो दिवसीय प्रशिक्षकों की प्रशिक्षण कार्यशाला के अवसर पर 'सांस' (सोशल अवेयरनेस ऐंड एक्शन टू न्यूट्रल न्यूमेनिया सक्सेसफुली) कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। अपर मुख्य सचिव ने कहा कि इस कार्यक्रम के अन्तर्गत समुदाय स्तर पर बच्चों के निमोनिया से संरक्षण, पहचान, शीघ्र उपचार के विषय में जानकारी उपलब्ध कराना तथा एएनएम-आशा एवं चिकित्सा ईकाइयों पर समुचित उपचार की व्यवस्था कराना सम्मिलित है। उन्होंने बताया कि निमोनिया से पांच वर्ष तक के बच्चों की मृत्यु कोे संरक्षण, बचाव एवं उपचार एवं शिशुओं में स्तनपान, समुचित अनुपूरक आहार एवं विटामिन 'ए' सप्लीमेन्टेशन, टीकाकरण, व्यक्तिगत स्वच्छता, हाथ धोना, घरेलू प्रदूषण को कम किया जाना, निमोनिया की समय पर पहचान एवं समुचित उपचार द्वारा कम किया जा सकता है। इस दौरान अपर्णा उपाध्याय, मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उप्र ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एवं यूनिसेफ उप्र के सहयोग से आयोजित स्वास्थ्य सूचकांकों में सुधार के लिए स्वास्थ्य विभाग में मानव संसाधन का प्रशिक्षित होना अत्यन्त आवश्यक है। इसके लिए आगामी वर्षों में उपकेन्द्रों एवं हेल्थ एण्ड वेलनेस सेन्टर पर प्रशिक्षित मानव संसाधन की तैनाती किये जाने की योजना है तथा यह भी आवश्यक है कि प्रत्येक जन को उनके समीप आसानी से निःशुल्क, गुणवत्तापरक स्वास्थ्य सेवायें उपलब्ध करायी जायें। कोरोना महामारी के दौरान स्वास्थ्य विभाग द्वारा किये गये उत्कृष्ट कार्यों से जनमानस में जो विश्वास बढ़ा है उसको बनाये रखना है। प्रशिक्षण के दौरान उपयोग होने वाले स्किल स्टेशन्स का अपर मुख्य सचिव ने अवलोकन किया एवं प्रसव उपरान्त माताओं और उनके परिवारजनों को नवजात शिशुओं की देखभाल सम्बन्धित परामर्श दिये जाने के निर्देश दिये गये। हिन्दुस्थान समाचार/संजय-hindusthansamachar.in

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