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उप्र : माइक्रो फूड प्रोसेसिंग योजना के तहत हजारों को मिला रोजगार

लखनऊ, 21 जून (हि.स.)। योगी सरकार द्वारा फल और सब्जियों के प्रसंस्करण की क्षमता बढ़ाने के लिए किए जा रहे प्रयास अब किसानों और छोटे कारोबारियों को भी भाने लगे हैं। राज्य के हर बड़े गांव में अब फल और सब्जियों के प्रसंस्करण को लेकर जागरूकता बढ़ी है। छोटे-छोटे कारोबारी ग्रामीण क्षेत्रों में सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के तहत फूड प्रोसेसिंग (खाद्य प्रसंस्करण) यूनिट लगाने में रूचि दिखा रहे हैं। यह बातें सोमवार को राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने कही। 35 प्रतिशत की दर से ऋण में सब्सिडी उन्होंने कहा कि इन छोटे कारोबारियों को सरकार 10 लाख रुपये तक लागत वाली फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने पर 35 प्रतिशत की दर से ऋण में सब्सिडी देकर उनका उत्साह बढ़ा रही है। सरकार के इस प्रयास का नतीजा है कि अब गावों में छोटे उद्योगों को आधुनिक बनाने और फूड प्रोसेसिंग की क्षमता बढ़ाने को लेकर तमाम प्रस्ताव उद्यान विभाग को प्राप्त हुए हुए। इन प्रस्तावों को जल्द ही मंजूरी मिल जाएगी। सरकार ने इस वित्तीय वर्ष में 9301 सूक्ष्म खाद्य फूड प्रोसेसिंग उद्यमों को बढ़ावा देने का लक्ष्य तय किया है। इन उद्यमों में करीब 20 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा। और हजारों किसानों को उनके उत्पाद की वाजिब कीमत मिल गांव में ही मिलेंगी। प्रवक्ता ने कहा कि उद्योगपतियों ने बीते चार सालों में 9105.58 करोड़ की लागत वाली 139 फूड प्रासेसिंग यूनिट (फैक्ट्री) राज्य में स्थापित करने के प्रस्ताव सरकार को सौंपे हैं। 101 से फूड प्रासेसिंग फैक्ट्रियों में उत्पादन शुरू हो गया है। फैक्ट्रियों में 20 हजार 176 लोगों को रोजगार मिला है। जबकि 38 फूड प्रासेसिंग फैक्ट्रियों के निर्माण का कार्य चल रहा है। इन फैक्ट्रियों में 21 हजार 111 लोगों को रोजगार मिलेगा। उन्होंने बताया कि एसएलएमजी बेवरेज प्राइवेट लिमिटेड ने लखनऊ में 300 करोड़, बरेली में बीएल एग्रो 160 करोड़ और खट्टर इडीबल्स प्राइवेट लिमिटेड रामपुर में 150 करोड़ का निवेश कर उत्पादन शुरू कर दिया है। 55 करोड़ की लागत से स्थापित बाराबंकी में ऑर्गेनिक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के संयंत्र में भी उत्पादन हो रहा है। इसी प्रकार पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड गौतमबुद्धनगर में 2,118 करोड़, पेप्सिको मथुरा में 514 करोड़, हल्दीराम स्नैक्स प्राइवेट लिमिटेड गौतमबुद्धनगर में 490 करोड़ का निवेश कर रही हैं। उन्होंने कहा कि अब गांवों तथा कस्बों के स्तर पर भी फूड प्रासेसिंग कारोबार को लेकर छोटे- छोटे कारोबारी भी अपनी यूनिट लगाने की पहल कर रहे हैं। इन छोटे कारोबारियों को ग्रामीण स्तर पर अपनी फूड प्रोसेसिंग इकाई लगाने के लिए केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना हिम्मत बंधा रही है। इस योजना से किसानों, कुटीर उद्योगों, किसान संगठनों सहित अन्य लोगों को तरक्की करने का मौका मिल रहा है। उन्होंने कहा कि छोटे और मझोले उद्योगों को पूंजी उपलब्ध कराने और उन्हें बढ़ावा देने के लिए सरकार फार्म-टू-मार्केट लिंकेज बना रही है। प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश सरकार ने अगले पांच वर्षों में 37 हजार 826 सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के जरिए लोगों को रोजगार मुहैया कराने का लक्ष्य तय किया है। इस वित्तीय वर्ष में 9301 सूक्ष्म खाद्य फूड प्रोसेसिंग उद्यमों को बढ़ावा दिया जाएगा। फिलहाल सरकार को हर जिले में छोटे कारोबारियों के फूड प्रासेसिंग यूनिट लगाने के सैकड़ों आवेदन प्राप्त हुए हैं। 2017 में तैयार कराई गई खाद्य प्रसंस्करण नीति उन्होंने बताया कि फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में निवेश को बढ़ाबा देने के लिए खाद्य प्रसंस्करण नीति 2017 तैयार कराई गई। इस नीति में फूड प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने वाले उद्यमी को कई तरह की रियायते देने का ऐलान किया गया। प्रदेश सरकार की इस नीति से प्रभावित होकर वर्ष 2018 से अब तक 4109.74 करोड़ की लागत वाले 803 आवेदन उद्यमियों से प्राप्त हुए। उन्होंने बताया कि आवेदनों में फल - सब्जी प्रसंस्करण के 81, उपभोक्ता उत्पाद के 232, खाद्यान्न मिलिंग के 397, हर्बल प्रोसेसिंग के 03, दुग्ध प्रसंस्करण के 35, तिलहन प्रसंस्करण के 27, दलहन प्रसंस्करण के 15, मांस प्रसंस्करण के 08, रेफर वैन के 10, मेगा फ़ूड पार्क और एग्रो प्रोसेसिंग का एक प्रस्ताव है। इन उद्योगों के लिए सरकार के स्तर से उद्यमियों को जमीन उपलब्ध कराई गई है और कई यूनिटों में उत्पादन भी शुरू हो गया है। हिन्दुस्थान समाचार/राजेश

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