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उप्र : दलित बच्चियों की मौत पर गरमाई देश की सियासत, जीवित बच्ची सुलझा सकती है मौत की अनसुलझी पहेली

उन्नाव, 18 फरवरी (हि.स.)। दिल्ली में किसानों के आंदोलन में आज देश भर की ट्रेनों को रोकने का फैसला था। यह टीवी चैनल की सुर्खियां बनते-बनते रह गई। उत्तर प्रदेश की राजधानी से बमुश्किल 30 किलोमीटर की दूरी पर दो दलित बच्चियों का शव मिलने से उत्तर प्रदेश की राजनीति फिलहाल गरमा गई है। लखनऊ के अधिकारी असोहा में डेरा जमाए हैं। मृतका के परिजनों को किसी भी मीडिया कर्मी से मिलने नहीं दिया जा रहा है। उनके घर पर भारी पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई है। क्षेत्रीय लोग इस हत्याकांड पर आक्रोशित आकर सड़कों पर बीती रात से उतरे हैं। समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, बसपा के बड़े नेताओं ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार की पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। फिलहाल दो बच्चियों का पोस्टमार्टम जिला अस्पताल में चल रहा है। जबकि तीसरी बच्ची कानपुर के रीजेंसी अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रही है। पोस्टमार्टम हाउस से लेकर असोहा में पिता के घर तक राजनीतिक दलों के लोगों का तांता लगा है। प्रशासन भी घटनाक्रम पर पूरी निगाह बनाए हुए हैं। दोनों स्थानों पर भारी पुलिस फोर्स मौजूद है। ताकि किसी प्रकार की कोई भी अपनी घटना न घट सके। जिलाधिकारी रविंद्र कुमार व पुलिस अधीक्षक आनंद कुलकर्णी घटना के बाद से ही असोहा में डेरा जमाए हुए हैं। लखनऊ से भी पुलिस के उच्चाधिकारी असोहा के घटनाक्रम पर पल-पल की खबर ले रहे हैं। जानकारों की माने तो भारत की राजनीति में दलितों के नए नेता चंद्रशेखर रावण आने की भी सुगबुगाहट चल रही है। जल्द पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद काफी हद तक स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। अस्पताल में इलाज करा रही बच्ची भी स्वस्थ होकर जल्द ही नए खुलासे करेगी। खबर लिखे जाने तक दोनों नाबालिग बच्चियों का पोस्टमार्टम कर रहे। डॉक्टरों के पैनल ने बताया कि उच्च अधिकारियों को घटना के संबंध में बता दिया गया है। आप उन्हीं से बात करें। हिन्दुस्थान समाचार/अरुण कुमार दीक्षित-hindusthansamachar.in

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