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उन्नाव: बांगरमऊ को जिला बनाने की मांग हुई तेज

उन्नाव, 13मार्च(हि. स.)।क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए तथा नए रोजगार उपलब्ध कराने के लिए बांगरमऊ को जिला बनाया जाना अति आवश्यक है। क्षेत्र के ग्राम इस्माइलपुर आंबापारा (कुर्मिन खेड़ा) निवासी उच्च न्यायालय खंडपीठ लखनऊ के वरिष्ठ अधिवक्ता तथा यश भारती सम्मान से सम्मानित प्रमुख समाजसेवी फारूक अहमद एडवोकेट ने हरदोई उन्नाव मार्ग पर स्थित एक ढाबे पर पत्रकारों के सम्मान में आयोजित भोज कार्यक्रम व प्रेस वार्ता में पत्रकारों से बातचीत करते हुए यह बात कही। शनिवार को प्रेस कांफ्रेंस में फारूक अहमद एडवोकेट ने बताया कि 28 अप्रैल 2017 को मुख्यमंत्री को प्रार्थना पत्र देकर बांगरमऊ को जिला बनाने की मांग की थी। इसके साथ ही जनपद के सांसद डॉ स्वामी सच्चिदानंद हरि साक्षी महाराज ने भी बांगरमऊ को जिला बनाए जाने की मांग की थी। जिस पर कार्यवाही करते हुए उत्तर प्रदेश शासन ने अपने पत्र दिनांक 13 जून 2017 द्वारा राजस्व परिषद से आख्या मांगी थी। जिसके अनुपालन में दिनांक 12 सितंबर 2017 को राजस्व परिषद ने जिलाधिकारी, जिला अधिकारी कानपुर नगर व जिलाधिकारी हरदोई से आख्या/ प्रस्ताव मांगा था। उसके बाद मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि संबंधित जिलाधिकारियों ने राजस्व परिषद के पत्र 12 सितंबर 2017 के अनुपालन में जनपद की तहसील बांगरमऊ को नया जिला बनाने के संबंध में अभी तक अपनी आंख्या/प्रस्ताव राजस्व परिषद को प्रेषित नहीं किया है, और जो आख्याएं प्रेषित की गई हैं, वह अपूर्ण व भ्रामक है। जिससे की आगे की कार्यवाही नहीं हो पा रही है और बांगरमऊ एवं उसके आसपास के इलाके का विकास सही ढंग से नहीं हो पा रहा है। पत्र में यह भी कहा गया था कि दिनांक 22 मई 2017 को जिलाधिकारी ने उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र लिखा था कि यह नीतिगत मामला है जिसका निस्तारण शासन स्तर पर संभव है। फारूक अहमद एडवोकेट ने बताया कि अतिशीघ्र फिर से मुख्यमंत्री से मांग करेंगे कि उक्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए जनहित में संबंधित जिलाधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिया जाए कि बांगरमऊ को नया जिला बनाए जाने के संबंध में तत्काल अपनी अपनी आख्याएं प्रेषित करें। जिससे कि शासन स्तर पर बांगरमऊ को नया जिला बनाए जाने के संबंध में औपचारिकताएं पूर्ण की जा सकें। उन्होंने यह भी कहा कि अगर शीघ्र ही इस संबंध में शासन स्तर से कार्यवाही शुरू नहीं की गई तो उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करेंगे। हिंदुस्थान समाचार /अरुण कुमार दीक्षित

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