उमा ने लिख दी बुंदेली भाषा में श्रीमद्भगवद्गीता, सोमवार को होगा विमोचन
बांदा/ललितपुर, 10 जनवरी (हि.स.)। हिन्दू धर्म के एकमात्र धर्मग्रंथ है वेद। वेदों के चार भाग हैं- ऋग, यजु, साम और अथर्व। वेदों के सार को वेदांत या उपनिषद कहते हैं और उपनिषदों का सार या निचोड़ गीता में हैं। गीता हिन्दुओं का सर्वमान्य एकमात्र धर्मग्रंथ है। इसी ग्रंथ को बुंदेलखंड की शिक्षाविद उमा चौबे ने बुंदेली भाषा में लिखा है इसका विमोचन 11 जनवरी को नेहरू महाविद्यालय ललितपुर में होगा। बुंदेली भाषा बुंदेलखंड के उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के 17 जिलों के अतिरिक्त आसपास के अन्य कई जिलों में भी बोली जाती है। क्षेत्र के लोग भी गीता को अपनी भाषा में पढ़ सकें इसके लिए शिक्षाविद् उमा चौबे ने कई वर्षों तक मेहनत व शोध किया और उसके बाद बुंदेली भाषा में गीता लिखा। बुंदेली भाषा में गीता लिखना आसान नहीं था लेकिन इस काम को उमा चैबे ने आसान कर दिया। निश्चित रूप से उनके इस प्रयास से बुंदेलखंड के जनसामान्य, माताएं बहनें व ग्रामीण गीता के मर्म को बुंदेली भाषा में आसानी से समझ सकेंगे। इसका विमोचन 11 जनवरी को अपरान्ह 11 बजे संस्कृत भारती एवं संस्कृत संस्थान के सौजन्य से नेहरू महाविद्यालय के तहसील सभागार में होगा। विमोचन स्वामी राजेंद्र दास जी देवाचार्य महाराज के कर कमलों से किया जाएगा। इस बारे में उमा चौबे ने बताया कि भारत का हर व्यक्ति चाहे आस्तिक हो या नास्तिक गीता को प्रेरणा स्रोत की मान्यता देता है और हजारों महापुरुषों ने इसी को लेकर गीता पर टीका लिखी हैं लेकिन फिर भी आमजन इसे जानने, समझने को सदैव उत्सुक रहता है। इसका सबसे अच्छा प्रयास क्षेत्रीय भाषा में ही लिखकर हो सकता है। मैंने भी एक छोटा सा प्रयास किया है। बताते चलें किए उमा चौबे, बुन्देलखण्ड विकास बोर्ड के सदस्य प्रदीप चौबे की बहन हैं। हिन्दुस्थान समाचार/अनिल-hindusthansamachar.in