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ट्रकों को सीज करने पर ट्रांसपोर्टरों ने खनिज विभाग को घेरा

बांदा, 03 जून (हि.स.)। जनपद में खनिज विभाग की मिलीभगत से अवैध खनन चल रहा है। इसका खुलासा आज उत्तर प्रदेश के करीब 10 जनपदों से आए ट्रांसपोर्टरों ने किया। उनका आरोप है कि तीन दिन पहले 70 ट्रकों को खनिज विभाग ने सीज किया जबकि उनके पास वैध टोकन है। बालू खदान वैध है या अवैध है इसके लिए खनिज विभाग ही जिम्मेदार है ट्रांसपोर्टर इसके लिए कतई दोषी नहीं हैं। ट्रांसपोर्टरों ने बताया कि अछरौड खदान खंड संख्या एक के संचालक आनंद कुमार त्रिपाठी द्वारा जिला खान अधिकारी सुभाष सिंह तथा खनिज अधिकारी इंस्पेक्टर जितेंद्र सिंह की सांठगांठ से अवैध खनन उपखंड संख्या एक में किया जाता रहा है। ट्रांसपोर्टरों को गुमराह करके अवैध खनन को वैध बताकर एमएम 11 कांटा पर्ची, जीएसटी आदि प्रपत्र प्रदान किये गए है। विगत 31 मई को उक्त खदान की पार्किंग में लगभग 70 ट्क खाली खड़े थे जिन पर अवैधानिक कार्रवाई की जा रही है।उक्त सभी गाड़ियों पर खदान संचालक के द्वारा टोकन भी जारी किया जा चुका था। खनन निरीक्षक जीतेंद्र सिंह उक्त खंड का लगातार मौके पर जाकर निरीक्षण भी करते रहें इससे यह स्पष्ट है कि खनन विभाग के सारे अधिकारियों की सह से उक्त अवैध खनन का कार्य कराया जा रहा है और हम ट्रांसपोर्टरों को बताया जाता है कि खनन अवैध किया जा रहा है। उक्त खनन स्थल पर बोर्ड आदि सबकुछ लगे हैं हमें इस बात की जानकारी कैसे हो सकती है कि उक्त खदान संचालक सही खनन करा रहा है या अवैध। यदि अवैध खनन संचालक द्वारा कराया जा रहा तो निरीक्षण में उनके विरुद्ध किसी तरह की कार्रवाई क्यों नहीं की गई। उन्होंने बताया कि ट्रक चालक कम पढ़े लिखे होते हैं उन्हें क्या पता कौन से गाटा संख्या तक खदान वैध है और कौन सी खदान अवैध है। जब उन्हें प्रपत्र मिल रहे हैं तो फिर अवैध खनन की गुंजाइश कहां रह जाती हैं। अगर खदान अवैध थी तो निश्चित है कि खनिज विभाग की मिलीभगत से चल रही थी। कल मौके पर खदान के कई कर्मचारियों से जब इस बारे में पूछा गया तो वह सब मौके से भाग गए। जब हमने इस संबंध में जिला खनन अधिकारी से मिलने के लिए बात की तो उन्होंने सभी ट्रांसपोर्टरों को खनिज विभाग में बुलाया और फोन पर ही बताया कि आप सभी लोग अपना जुर्म स्वीकार कर लो कि आप लोग अवैध खनन करा रहे थे। जब हम खनिज कार्यालय पहुंचे तो हमें देखते ही कार्यालय को बंद कर दिया गया। हम लोग घंटों धूप में खड़े रहे। उन्होंने कहा कि हमारे पास अछरौड़ खंड संख्या एक के लोडिंग टोकन है जो हम खनिज अधिकारी को दिखाना चाहते हैं जिससे हमें निर्दोष समझा जाए। लेकिन अपनी जवाबदेही से बचने के लिए खनिज अधिकारी मौके से गायब हो गए। ट्रांसपोर्टरों ने आरोप लगाया कि 31 मई को खनन निरीक्षक जितेंद्र सिंह, तहसीलदार बांदा आदि अन्य अधिकारियों ने ट्रक चालकों के साथ लाठी-डंडों से मारपीट की व मां बहन की गालियां देते हुए जान से मारने तथा जेल में बंद करके जीवन बर्बाद करने की धमकी दी। ट्रांसपोर्टरों ने इस संबंध में जिला अधिकारी मांग की है कि खदान संचालक आनंद कुमार त्रिपाठी, खनिज अधिकारी सुभाष सिंह, खनन निरीक्षक जीतेंद्र सिंह के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाये। मांग करने वालों में बुंदेलखंड ट्रक एसोसिएशन बांदा के अध्यक्ष शिव करण सिंह, मधुराम सिंह, दिनेश सिंह, शैलेंद्र सिंह, संदीप सिंह, संजय सिंह, सत्यम सिंह, लोकेंद्र सिंह, रामसनेही सिंह, संतोष सिंह, नीरज सिंह, कामता सिंह, सिराज अहमद, नफीस अहमद मिथुन सिंह इत्यादि शामिल रहे। कोरोना संक्रमण के कारण ताला बंद कराया जिला खान अधिकारी सुभाष सिंह ने सफाई देते हुए कहा कि इस समय कोविड संक्रमण चल रहा है। ट्रांसपोर्टरों की संख्या ज्यादा होने के कारण कार्यालय में ताला लगवा दिया गया था। क्या कहते हैं जिम्मेदार इस बारे में एसडीएम बांदा सुरेंद्र सिंह का कहना है कि इस समय अवैध बालू खनन करने वालों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। इसी अभियान के तहत 31 मई को उजरेहटा बालू खदान में अवैध खनन की जानकारी मिली थी, जिसके आधार पर एक टीम बनाकर छापामार कार्रवाई की गई, जहां अवैध खनन पाया गया। उन्होंने कहा कि अछरौड़ खंड संख्या एक का पट्टा है, जबकि खनन उजरेहटा में चल रहा था। उजरेहटा पट्टा क्षेत्र से दो किलोमीटर दूर है, इसी वजह से मौके पर मिले ट्रकों के खिलाफ कार्रवाई की गई। हिन्दुस्थान समाचार/अनिल

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