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रमजान महीने में होती है रहमतों की बारिश : कारी बदरुज्जमा कुरैशी

- छोटे-छोटे कार्यों में बड़ा सवाब, थोड़ा काम और लाभ कई गुना अधिक कानपुर, 10 मई (हि.स.)। रमजान मुबारक का यह पाक महीना हम सब के बीच से धीरे-धीरे रुखसत हो रहा है। रब ने इंसान का जीवन सफल बनाने के लिए नमाज, रोजा, हज, जकात, के द्वारा हम अपने रब खुश कर सकते है। यह बातें सोमवार को कुल हिन्द इस्लामिक इल्मी अकादमी की अल-शरिया हेल्पलाइन के द्वारा कारी बदरुज्जमां कुरैशी ने कही। उन्होंने ने बताया कि इसी क्रम में अल्लाह ने हमे रमजान के रोजे अता करे है, जिसमें अल्लाह की रहमतों की बारिश हो रही है, छोटे-छोटे कार्यों में बड़ा सवाब, थोड़ा काम और लाभ कई गुना अधिक, दुनिया की दृष्टि से दिन भर काम करने के बाद भी परिणाम कम मिलता है। लेकिन रब के लिए कुछ आयतें ही कुरआन की पढ़ लें तो लाखों लाख नेकिया कमा सकते है। इससे लाभ की बात और क्या होगी। रमजान का आखिरी अशरा चल रहा है, ऐसे में हम रोजा रख लें, नमाजों की पाबंदी के साथ तरावीह पढ़ लें और अल्लाह के सामने आंसू बहाकर माफी मांग लें और अपनी मगफिरत करा लें। कुल हिन्द इस्लामिक इल्मी अकादमी कानपुर की अल-शरिया हेल्पलाइन से पूछे गए प्रश्नों के उत्तर। सवाल:- मेरे पास आभूषण है, कुछ मायके से मिले हैं कुछ सुसराल से, क्या सब की जकात निकालना होगा और यह भी बतायें कि मेरे पास पैसे नहीं हैं तो क्या मेरे शौहर जकात निकालें या मुझे ही जकात निकालनी होगी ? जवाब:- जकात सारे आभूषण पर है और जकात निकालना आप ही की जिम्मेदारी है, अतः आप शौहर से कहें और वह आप की तरफ जकात निकाल दे तो जकात अदा हो जायेगी। सवाल:- बीवी के इंतेक़ाल बाद उसको देखना और शौहर का उसको गुस्ल देना और कन्धा देना कैसा है ? जवाब:- शौहर अपनी बीवी को देख सकता है, कन्धा भी दे सकता है किन्तु गुस्ल देना दुरुस्त नहीं। सवाल:- गैर मुस्लिम की दावते इफ्तार में शिर्कत करना कैसा है ? जवाब:- दुरुस्त है। सवाल:- तरावीह की नमाज से पहले वित्र पढ़ना कैसा है? जवाब:- वित्र की नमाज तरावीह के बाद पढ़ना बेहतर है, लेकिन अगर पहले पढ़ ली है तब भी दुरुस्त है। हिन्दुस्थान समाचार/महमूद

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