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विश्व के प्रमुख भूवैज्ञानिक तथा शोधकर्ता करेंगे मन्थन

- बी.यू. के भूविज्ञान विभाग द्वारा आयोजित हो रहा है दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय वेबिनाॅर झांसी, 23 फरवरी (हि.स.)। बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय परिसर स्थित भूविज्ञान संस्थान तथा इंस्टीट्यूट ऑफ जियोलाॅजी, करेलियन रिसर्च सेंटर, रसियन एकेडमी ऑफ साइंसेज, पेट्रोजावोडस्क, रसिया के संयुक्त तत्वाधान में लिथोस्फिेयर आफ द् फेनोस्कांडियन एण्ड इण्डियन शील्डःफाॅरमेशन फ्राम आर्कियन टू रिसेण्ट विषयक दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय वेबिनाॅर का आयोजन 24 व 25 फरवरी को होने जा रहा है। वेबिनाॅर के आयोजन सचिव प्रो.विनोद कुमार सिंह ने बताया कि वेबिनॅार का उद्घाटन अपराहन साढे बारह बजे किया जायेगा। उद्घाटन समारेाह के मुख्य अतिथि इंस्टीट्यूट ऑफ जियोलाॅजी, करेलियन रिसर्च सेंटर, रसियन एकेडमी ऑफ साइंसेज, पेट्रोजावोडस्क, रसिया के निदेशक प्रो.सर्गेई स्वेतोव होंगे। इस अवसर पर हैदराबाद विश्वविद्यालय के सेण्टर फाॅर अर्थ, ओशन एण्ड एटमोसफेयरिक साईंस के प्रो.एम.जयानंद विशिष्ट अतिथि होेंगे जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.जे.वी.वैशम्पायन करेंगे। प्रो.सिंह ने बताया कि पृथ्वी की उपरी सतह स्थलमण्डल या लिथोस्फियर में विभिन्न कारणों से निरन्तर परिवर्तन होते रहते है, जिसके कारण खनिज सम्पदा तथा अयस्कों का पृथ्वी के विभिन्न भागों में वितरण एवं जमाव होता रहता हैं, जोकि किसी भी देश की आर्थिकी मे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होेंने बताया कि इस वेबिनाॅर के माध्यम से यूरोपियन प्लेट तथा इण्डियन शील्ड के लिथोस्फियर की बनावट उसमें होने वाले परिवर्तनो तथा उनके प्रभावों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की जायेगी। उन्होंने बताया कि बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के भूविज्ञान संस्थान तथा इंस्टीट्यूट ऑफ जियोलाॅजी, करेलियन रिसर्च सेंटर, रसियन एकेडमी ऑफ साइंसेज, पेट्रोजावोडस्क द्वारा विगत एक वर्ष पूर्व 26 फरवरी 2020 को एक एम.ओ.यू. पर हस्ताक्षर किये गये थे, जिसके द्वारा दोनों संस्थानो द्वारा शोध एवं प्रोजेक्ट के क्षेत्र में सहयोग के लिए सहमति दी गई थी। इस श्रृंखला में नेशनल हैजार्ड एण्ड मैनेजमेण्ट विषयक दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय वेबिनाॅर का आयोजन 19-20 नवम्बर 2020 को किया गया था। कल का वेबिनाूर इस श्रृंखला को दूसरा वेबिनाॅर होगा। उन्होंने बताया कि इससे पूर्व 2009 में भी दोनो संस्थानों द्वारा एक एम.ओ.यू. पर हस्ताक्षर किये गये थे। इन दोनों संस्थानों के आपसी सहयोग से 2009 से अब तक 30 शोध पत्र प्रकाशित हो चुके है। इस साल 5 शोध पत्र प्रकाशित करे का लक्ष्य रखा गया है जिसे समय से पहले ही पूर्ण होने की प्रबल सम्भावना है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इसी प्रकार भविष्य में भी दोनों संस्थानों के सहयोग से वेबिनाॅर, संगोष्ठी तथा सम्मेलनों का आयोजन किया जाता रहेगा। प्रो.सिंह ने बताया कि वेबिनाॅर में इंस्टीट्यूट ऑफ जियोलॉजी, करेलियन रिसर्च सेंटर, रसिया के प्रो.अलेक्जेंडर स्लैबुनोव, डॉ. नतालिया नेस्टरोवा, प्रो.ओलेग मक्सिमोव, प्रो.पावेल मेदवेदेव, भूविज्ञान विभाग, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी, के प्रो. राजेश श्रीवास्तव, फिनलैंड का भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, एस्पू के डॉ. पेंटी होल्ता, फिनलैंड विश्वविद्यालय के जियोसाइंस और भूगोल विभाग के प्रो.शौकत बाल्टिबाएव, दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग के डॉ.अजहर एम.शेख, राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद के सेवानिवृत्त मुख्य वैज्ञानिक डॉ.वी.विजय राव, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी के भूविज्ञान विभाग के को प्रो एच.बी.श्रीवास्तव, भूविज्ञान विभाग, कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल के प्रो.संतोष कुमार, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ के डॉ.परमप्रीत कौर, अलीगढ़ विश्वविद्यालय के प्रो.एम.ई.ए. मंडल, प्रमुख वक्ताओं में होगें। हिन्दुस्थान समाचार/महेश

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