the-mahaparva-of-democracy-was-completed-for-the-first-time-in-the-mini-chambal-39patha39-of-bundelkhand-without-the-orders-of-the-dreaded-dacoits
the-mahaparva-of-democracy-was-completed-for-the-first-time-in-the-mini-chambal-39patha39-of-bundelkhand-without-the-orders-of-the-dreaded-dacoits

दुर्दांत डकैतों के फरमान के बिना बुंदेलखंड के मिनी चम्बल ’पाठा’ में पहली बार सम्पन्न हुआ लोकतंत्र का महापर्व

- चार दशकों के बाद "बुलेट नहीं बैलेट" से निर्भीक होकर ग्रामीणों ने चुना ग्राम विकास की सरकार रतन पटेल चित्रकूट,19 अप्रैल (हि.स.)। विंध्य पर्वत श्रृंखला के मध्य बसे बुंदेलखंड के चित्रकूट जिले में आजादी के कई दशकों बाद सम्पन्न हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में डकैतों की दखल देखने को नहीं मिली। ददुआ, ठोकिया, बलखड़िया और बबली कोल आदि आंतक के पर्याय रहे दुर्दांत डकैतों का अंजाम देख यूपी-एमपी का मोस्ट वांटेड डेढ़ लाख का ईनामी दस्यु गौरी यादव पंचायत चुनाव में पाठा क्षेत्र के करीबी प्रत्याशियों के समर्थन में फरमान जारी करने की हिम्मत नहीं जुटा सका। चार दशकों तक रहा डकैतों की समांनातर सत्ता उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के सीमा पर स्थित चित्रकूट जनपद का पाठा क्षेत्र पिछले चार दशकों से ददुआ, ठोकिया, रागिया, बलखड़िया और बबली कोल आदि दुर्दांत डकैतों की शरण स्थली रहीं है। पाठा के बीहड़ से लगे दो सैकड़ा से अधिक गांवों में सरकार के सामने डकैतों की समानांतर सत्ता कायम रहीं है। डकैतों की मर्जी से ही चित्रकूट समेत यूपी-एमपी के समीपवर्ती करीब आधा दर्जन जिलों में प्रधान से लेकर विधायक और सांसद तक डकैतों के फरमान से बनते रहे हैं। दुर्दांत ददुआ ने बसपा प्रत्याशी के समर्थन में जारी किया था फरमान दुर्दांत डकैत ददुआ का बसपा के समर्थन में जारी फरमान ‘वोट पड़ेगा हाथी में, नहीं लाश मिलेगी घाटी में’...आज भी लोगों के जेहन में है। इसके 2007 में ददुआ और 2008 मेें ठोकिया गैंग का सफाया होने के बाद पाठा में दहशत का साम्राज्य कम होने लगा। इनके बाद गैंग की कमान संभालने वाले रागिया, बलखड़िया और बबली कोल की दहशत रही। अब इनके भी गैंग का अंत होने के बाद पाठा क्षेत्र में आजादी का नया सवेरा हुआ। योगी सरकार के सामने डकैत गौरी यादव नहीं उठा सका सिर सूबे की योगी सरकार की अपराधियों के प्रति उठाये गये कदम के बाद पुलिस की पाठा के जंगलों में बढ़ी सक्रियता ने बदमाशों के हौसले पस्त कर दिये हैं। मौजूदा समय डेढ़ लाख का ईनामी डकैत गौरी यादव गैंग की यूपी-एमपी के सीमावर्ती इलाकों में सक्रियता है, लेकिन इस बार के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में दस्यु गौरी यादव गैंग भी किसी भी समर्थित प्रत्याशी के समर्थन में फरमान जारी करने या प्रचार करने की हिम्मत नहीं जुटा सका। पहली बार बुलेट नहीं बैलेट का हुआ इस्तेमाल जिले के पाठा क्षेत्र की करीब 200 ग्राम पंचायतों में पहली बार बुलेट नहीं, बल्कि बैलेट से गांव की सरकार चुनी जाने का रास्ता साफ हुआ है। इस बार पंचायत चुनाव में मिनी चंबल के रूप में कुख्यात रहे पाठा में लोकतंत्र की ताकत नजर आएगी। डकैतों के असर से मप्र के रीवां और सतना जिले भी मुक्त होंगे। इस बार के पंचायत चुनाव में जेल में बंद ददुआ के साथी डकैत राधे का बेटा अरिमर्दन सिंह उर्फ सोनू शीतलपुर तरौंहा ग्राम पंचायत से प्रधान पद के लिए मैदान में है, जबकि मुन्नीलाल यादव उर्फ खड़ग सिंह की पत्नी माया देवी एक बार फिर से चुनाव मैदान में है। हालांकि दोनों ने आम उम्मीदवार की तरह ही वोट मांगते नजर आये। निर्भीक होकर लोगों ने मताधिकार का किया प्रयोग - आईजी चित्रकूटधाम मंडल बांदा के आईजी के0 सत्यनारायण का कहना है कि चित्रकट जिले का पाठा से अब डकैतों का सफाया हो चुका है। लोग लोकतंत्र के उत्सव में निर्भीकता के साथ अपने मताधिकार का प्रयोग करते नजर आये है। इस बार के पंचायत चुनाव में किसी डकैत की दखल नहीं रहीं है। उन्होंने दावा किया कि जल्द ही डेढ़ लाख के ईनामी गौरी यादव गैंग का भी पुलिस सफाया कर देगीं। हिन्दुस्थान समाचार

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in