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विशेष स्थिति में सजा निलंबित कर पैरोल पर कैदी की रिहाई का सरकार को अधिकार, याचिका खारिज

प्रयागराज, 08 फरवरी (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हृदय रोग से पीड़ित मां का इलाज कराने के लिए पैरोल पर रिहाई की मांग में दाखिल सजायाफ्ता कैदी की याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी है कि उप्र (कैदियों की सजा निलंबन) नियमावली 2007 के तहत राज्य सरकार को विशेष स्थिति में कैदी की सजा निलंबित करने व पैरोल पर रिहा करने का अधिकार है। इस मामले में याचिका पोषणीय नहीं है। यह आदेश न्यायमूर्ति एस.पी केशरवानी तथा न्यायमूर्ति शमीम अहमद की खंडपीठ ने हमीरपुर के सिसोलर थाना क्षेत्र के रिंकूउर्फ बृजेन्द्र की याचिका पर दिया है। याची का कहना था कि उसकी बूढ़ी मां हृदय रोग से पीड़ित है व बेड पर पड़ी है। उसकी जांच कर इलाज कराने के लिए पैरोल पर रिहाई का निर्देश दिया जाय। सरकारी अधिवक्ता का कहना था कि पैरोल के लिए सक्षम अदालत में जाना चाहिए। याचिका पोषणीय नहीं है। कोर्ट ने नियमावली के उपबंधों पर विचार करते हुए कहा कि सरकार जिलाधिकारी व एसपी से जांच रिपोर्ट मंगाकर सजा निलंबित कर सकती है। वह पैरोल पर रिहाई बांड लेकर एक माह के लिए रिहा कर सकती है। एक माह के लिए सजा का निलंबन बढ़ा भी सकती है। नियमावली में सजा निलंबन की स्थितियों का उल्लेख है। याचिका पर हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है। हिन्दुस्थान समाचार/आर.एन/दीपक-hindusthansamachar.in

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