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माघ पूर्णिमा पर विंध्य दरबार में उमड़ा आस्था का सैलाब

- स्नान-दान कर जगत जननी का लिया आशीर्वाद - माता काली और अष्टभुजा का भी किया दर्शन मीरजापुर, 27 फरवरी (हि.स.)। माघ पूर्णिमा पर शनिवार को आदिशक्ति मां विंध्यवासिनी के दरबार में श्रद्धालुओं ने आशीर्वाद लिया। विंध्य दरबार श्रद्धालुओं की भीड़ से भरा रहा। भोर की मंगला आरती के बाद भक्तों के लिए माता के कपाट खोल दिए गए। तब से शुरू दर्शन-पूजन का सिलसिला देर शाम तक चलता रहा। आस्था और विश्वास के धाम स्थित गंगा घाटों पर भोर से ही स्नान और दान कर लोगों ने पुण्य का लाभ कमाया। स्नान करने के बाद श्रद्धालु गलियों से होते हुए मां के मंदिर में पहुंच कर हाजिरी लगायी। विंध्य दरबार माता के जयकारे से गूंजता रहा। तल्ख धूप के बावजूद भक्त मां के दर्शन को आतुर रहे। विंध्य कॉरिडोर निर्माण के तहत ध्वस्तीकरण कार्य चलने से श्रद्धालु धूप में जलते पांव के साथ सिर छुपाने की ठांव तलाश रहे। बावजूद इसके माता की झलक मिलते ही श्रद्धालुओं के कलमश मिल गए। विधिवत दर्शन पूजन कर मंगल कामना की। घंटा, घड़ियाल, शंख ध्वनि से मंदिर परिसर देवीमय हो रहा। मान्यता है कि माघ मास पूर्णिमा तिथि पर जगत जननी मां विंध्यवासिनी देवी के दर्शन से मनोकामना पूरी होती है। यही वजह है कि देश भर से आए आस्थावानों ने नारियल, चुनरी, माला-फूल व प्रसाद माता की चरणों में अर्पित कर सुख-समृद्धि की कामना की। पूर्णिमा तिथि पर विशेष सुरक्षा व्यवस्था इंतजाम किए गए थे। पुलिस एवं पीएसी के जवान सहित श्री विंध्य पंडा समाज के पदाधिकारी एवं सदस्य श्रद्धालुओं की सेवा में तत्पर रहें। रजतमणि आभूषणों से किया गया श्रृंगार मां विंध्यवासिनी का पूर्णिमा तिथि के अवसर पर रजतमणि अभूषणों व गुड़हल, गुलाब पुष्पों से भव्य शृंगार किया गया था। जिनके दर्शन दर्शन पाकर भक्त निहाल हो गए। किसी ने झांकी से तो किसी ने गर्भगृह से माता के दर्शन-पूजन किये। इसके बाद मंदिर के गुंबद व हवन कुंड की परिक्रमा की। भक्तों ने मंदिर में विराजमान महाकाली, मां दुर्गा, पंचमुखी महादेव, मां सरस्वती देवी, मां शीतला, महालक्ष्मी, दक्षिण मुखी हनुमान, राधा कृष्ण, अन्यपूर्णा देवी, बटुक भैरव के समक्ष शीश नवाया। पहाड़ पर विराजमान मां काली, मां अष्टभुजा देवी दरबार में भी मत्था टेक कर आशीर्वाद लिया। हिन्दुस्थान समाचार/गिरजा शंकर

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