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विकास भवन परिसर में लगे एक्सपायरी अग्निशमन यंत्र आग को कर पाएंगे काबू !

— करीब आठ साल पहले लगे आठ अग्निशमन यंत्रों की नहीं हुई रिफलिंग कानपुर, 31 मार्च (हि.स.)। लक्ष्मीपत सिंघानिया हृदय रोग संस्थान में लगी आग की भले ही जांच रिपोर्ट न आई हो, पर पास में ही स्थित विकास भवन में भी आग की सुरक्षा को लेकर भीषण लापरवाही बरती जा रही है। पूरे विकास भवन परिसर में सिर्फ आठ अग्निशमन यंत्र लगे हैं जो पांच किग्रा के हैं। यही नहीं यह सब एक्सपायरी डेट के हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या एक्सपायरी डेट के अग्निशमन यंत्र आग को काबू कर पाएंगे? हृदय रोग संस्थान में लगी भीषण आग की घटना से विकास भवन के जिम्मेदार अधिकारी सबक लेने को तैयार ही नहीं है। इसी के चलते यहां पर लगे एक्सपायरी डेट के अग्निशमन यंत्र को लेकर अधिकारी मौन साधे हुए हैं। पूरे परिसर में करीब 19 विभाग हैं और सिर्फ आठ अग्निशमन यंत्र लगे हैं। इनमें कब रिफलिंग हुई किसी को पता नहीं है। ऐसे में बढ़ रही गर्मी के दौरान अगर कोई अनहोनी हो जाए तो अधिकारी सिर्फ जांच रिपोर्ट के अलावा शायद ही कोई जवाब दे सकें। हालांकि ईश्वर ऐसा न करें पर जिस प्रकार से जिम्मेदार बेफिक्र हैं उससे यह समझा जा सकता है कि विकास भवन में बैठने वाले करीब दो दर्जन से अधिक राजपत्रित अधिकारियों में दूरदर्शिता का पूर्णतया आभाव है। या यूं कहें कि लापरवाही की सारी सीमाओं को पार कर चुके हैं। मलाईदार विभागों के पास लगे हैं अग्निशमन यंत्र जिला विकास अधिकारी जीपी गौतम भले ही यह कह रहे हों कि मुझे जानकारी नहीं कि कब अग्निशमन यंत्र लगे है, पर अग्निशमन यंत्र में जो तिथि लिखी है उसके अनुसार 2012 में आठ अग्निशमन यंत्र विकास भवन में लगे थे। जबकि नियमत: हर साल अग्निशमन यंत्र की रिफलिंग होनी चाहिये और विकास भवन का जितना बड़ा परिसर है उसके अनुसार आठ अग्निशमन यंत्र नाकाफी हैं। यहां पर जो आठ अग्निशमन यंत्र लगे हैं उसमें भी यह देखा जा रहा है कि सभी मलाईदार विभाग के पास लगे हैं। हिन्दुस्थान समाचार/अजय/मोहित

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