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पुलिस की गलती से कत्ल मामले में पांच साल जेल काटने वाले दम्पति के बच्चे लापता

हाईकोर्ट ने दम्पति की गुहार पर स्वतः संज्ञान ले सरकार से मांगी रिपोर्ट प्रयागराज, 20 मार्च (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हत्या मामले में पुलिस की रिपोर्ट पर झूठे मुक़दमे में पांच साल जेल में बिताने वाले दम्पत्ति की गुहार पर संज्ञान लेकर राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है। दम्पति के जेल में रहने के चलते उनके नाबालिग बच्चों को अनाथालय में सौंप दिया गया था। दम्पत्ति के जेल से बाहर आने पर बच्चों के लापता होने के बारे में एक मार्च 21 को मुख्य न्यायाधीश को मिले पत्र पर कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका कायम की है। हाईकोर्ट ने इस जनहित याचिका पर राज्य सरकार से 26 अप्रैल तक स्टेटस रिपोर्ट के साथ जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति संजय यादव तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने लुकिंग फार जस्टिस नाम से कायम जनहित याचिका पर दिया है। याचिका की सुनवाई 26 अप्रैल को होगी। कोर्ट ने एक मार्च का पत्र व अन्य पत्रजात की प्रति अपर शासकीय अधिवक्ता को देने का निर्देश दिया है। मालूम हो कि 2015 में पाच साल के बच्चे की हत्या के आरोप में दो बच्चों के माता-पिता के खिलाफ पुलिस ने चार्जशीट दायर की। कोर्ट ने दम्पत्ति को जेल भेजते हुए पांच साल के बेटे व तीन साल की बेटी को अनाथालय भेजने का आदेश दिया। पांच साल बाद सुनवाई हुई तो अपर सत्र न्यायाधीश आगरा ने दम्पत्ति को बरी कर दिया और कहा कि विवेचनाधिकारी ने जल्दी जांच पूरी कर वाहवाही लूटने के लिए हड़बड़ी में चार्जशीट दाखिल कर दी। वास्तविक अपराधी को तलाशने की कोशिश नहीं की। दम्पत्ति के खिलाफ हत्या के आरोप का कोई साक्ष्य नहीं पेश किया। कोर्ट ने पांच साल बाद दम्पति को रिहा कर दिया। जेल से छूटने के बाद दम्पत्ति ने बच्चों की तलाश शुरू की। बच्चों का कहीं पता नहीं चला तो पुलिस के आला अधिकारियों के दरवाजे खटखटाये। वहां से भी कोई जवाब नहीं मिला, तब चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई। हिन्दुस्थान समाचार/आर.एन/दीपक

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