tb-patients-could-not-be-identified-due-to-corona-situation-became-dreadful---ajay-kumar-lallu
tb-patients-could-not-be-identified-due-to-corona-situation-became-dreadful---ajay-kumar-lallu

कोरोना के कारण टीबी मरीज नहीं हो पाए चिह्नित, स्थिति हुई भयावह - अजय कुमार लल्लू

लखनऊ, 24 मार्च (हि.स.)। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने सूबे में टीबी मरीजों की संख्या कम होने पर सवाल उठाये हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण इसके मरीज चिह्नित नहीं हो पाए। हकीकत में स्थिति भयावह हो चुकी है। प्रदेश अध्यक्ष ने विश्व क्षय दिवस पर बुधवार को कहा कि वर्ष 2017 में पूरे देश में 17,34,905 टीबी मरीज मिले थे, जिनमें से 17 प्रतिशत सिर्फ उत्तर प्रदेश से थे। यानी 2,96,910 संक्रमित मरीज उप्र से थे। वर्ष 2018 में देश में 21,01,082 मरीज मिले थे। इसके 20 फीसदी मरीज सिर्फ यूपी से थे। यूपी में 2018 में मरीजों की संख्या 4,11006 थी। वर्ष 2019 में देश में चिह्नित मरीजों की संख्या 24,01,589 थी, जबकि यूपी में 4,87,653 मरीज मिले थे। वर्ष 2020 में चिह्नित टीबी संक्रमित मरीजों की संख्या काफी गिर गई। पिछले साल देश में 18,11,105 मरीज मिले थे, जबकि यूपी में 3,68,112 मरीज मिले थे। इस साल मरीजों की संख्या गिरने का कारण कोरोना था। मरीज चिह्नित नहीं हो पाए थे, जिसकी वजह से यह संख्या कम होना प्रतीत हो रही थी, जबकि सच्चाई तो यह है कि टीबी के मरीजों को कोरोना के नाम पर भगवान के भरोसे छोड़ दिया गया और आज स्थिति भयावह हो चुकी है। उन्होंने कहा कि विश्व क्षय रोग दिवस को योगी सरकार बड़े-बड़े विज्ञापनों के माध्यम से प्रचारित कर रही है और केन्द्र सरकार ने वर्ष 2025 तक भारत को पूर्णरूपेण टीबी मुक्त करने का अपने वादे का लक्ष्य निर्धारित किया है। जबकि टीबी के मरीजों को पोषण के लिए दी जाने वाली रकम तो दूर, मरीजों को उचित इलाज भी नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि शायद यही कारण है कि देश में हर साल चार लाख से ज्यादा लोगों की मौतें टीबी से हो रही हैं। अजय कुमार लल्लू ने कहा कि प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं पहले से ही वेंटिलेटर पर हैं। टीबी की दवाओं का भी पूर्णतया अभाव है जिसकी वजह से यहां के हालात और भी ज्यादा बदतर होते जा रहे हैं। देश का हर पांचवां टीबी से संक्रमित मरीज उत्तर प्रदेश से है और ये संख्या लगातार बढ़ रही है। हिन्दुस्थान समाचार/संजय

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in