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हर भाषा के साहित्य में मनुष्यता, करूणा, प्रेम की बात : प्रो. गंगवार

- ‘साहित्य में अनुवाद का महत्व’ विषय पर व्याख्यान प्रयागराज, 11 जून (हि.स.)। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय लखनऊ हिन्दी विभाग के प्रो. रामपाल गंगवार ने ‘साहित्य में अनुवाद का महत्व’ विषय पर व्याख्यान में कहा कि दुनिया में जब मशीन नहीं थी तब भी संवाद-अनुवाद की प्रक्रिया चल रही थी। हर भाषा के साहित्य में मनुष्यता, करूणा, प्रेम की बात कही गयी है। आर्य कन्या डिग्री कॉलेज, हिन्दी विभाग के तत्वावधान में आयोजित व्याख्यान में शुक्रवार को उन्होंने कहा कि इसे भाषा अनुवाद से हम समझ सकते है। अतः सांस्कृतिक दृष्टि से उसका महत्व बढ़ जाता है कि हम दूसरी विचारधारा वाले समाज को जान सकें। एक भाषा से दूसरी भाषा में अर्थ के अन्तरण को अनुवाद कार्यक्रम की अध्यक्षता, शासी निकाय के अध्यक्ष पंकज जायसवाल ने करते हुए बताया कि वर्तमान समय में अनुवाद का अर्थ अंग्रेजी के ट्रांसलेशन से लिया जाता है। एक भाषा से दूसरी भाषा में अर्थ के अन्तरण को अनुवाद कहा जाता है। यह एक प्रकार का संवाद है जो अनुवादक के माध्यम से दो भाषाओं में होता है। अनुवाद एक टूल किट है, साहित्य को समझने का - प्राचार्या अतिथियों का स्वागत करते हुए महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. रमा सिंह ने कहा कि भारत जैसे देश में जहां भाषाओं में विविधता है, वहां अनुवाद महत्वपूर्ण हो जाता है। दूसरी भाषा के साहित्य को पढ़कर हम एक-दूसरे के भावों को समझ लेते हैं। अतः अनुवाद एक टूल किट है, साहित्य को समझने का। कार्यक्रम का संयोजन तथा आभार ज्ञापन डॉ. कल्पना वर्मा ने एवं संचालन डॉ. मुदिता तिवारी तथा अतिथि परिचय डॉ. शशि कुमारी ने किया। इस अवसर पर डॉ. रेनू जैन, डॉ. ममता गुप्ता, डॉ. मधुरिमा वर्मा, डॉ. रंजना त्रिपाठी, डॉ. नाजनीन, डॉ. हेमलता आदि उपस्थित रहीं। हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त

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