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महर्षि कश्यप व महाराजा गुह्यराज निषाद की जयंती सपा कार्यकर्ताओं ने उत्साह से मनाई

- पार्टी कार्यालय में तैलचित्र पर पुष्प अर्पित कर कृतित्व को याद किया वाराणसी, 05 अप्रैल (हि.स.)। निषाद वंश के महर्षि कश्यप व महाराजा गुह्यराज निषाद की जयंती सोमवार को समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उत्साह के साथ मनाई। पार्टी के अर्दली बाजार कार्यालय में कोरोना प्रोटोकाल का पालन कर जुटे कार्यकर्ताओं ने महापुरूषों के तैल चित्र पर पुष्प अर्पित व पूजन-अर्चन के बाद उनके कृतित्व को याद कर समाज की उन्नति की कामना की। इस दौरान पार्टी के महानगर अध्यक्ष विष्णु शर्मा ने कहा कि महर्षि कश्यप द्वारा संपूर्ण सृष्टि की सृजन में दिए गए महा योगदान की यशोगाथा हमारे वेदों, पुराणों, स्मृतियों, उपनिषदों एवं अन्य अनेक धार्मिक साहित्यों में भरी पड़ी है। जिसके कारण उन्हें ‘सृष्टि के सृजक’ उपाधि से विभूषित किया जाता है। महर्षि कश्यप पिघले हुए सोने के समान तेजवान थे। उनकी जटाएं अग्नि-ज्वालाएं जैसी थीं। महर्षि कश्यप ऋषि-मुनियों में श्रेष्ठ माने जाते थे। समाजवादी नेता ने कहा कि सुर-असुरों के मूल पुरूष मुनिराज कश्यप का आश्रम मेरू पर्वत के शिखर पर था, जहां वे पर-ब्रह्म परमात्मा के ध्यान में मग्न रहते थे। मुनिराज कश्यप नीतिप्रिय थे और वे स्वयं भी धर्म-नीति के अनुसार चलते थे और दूसरों को भी इसी नीति का पालन करने का उपदेश देते थे। महर्षि कश्यप ने अधर्म का पक्ष कभी नहीं लिया, चाहे इसमें उनके पुत्र ही क्यों न शामिल हों। महर्षि कश्यप राग-द्वेष रहित, परोपकारी, चरित्रवान और प्रजापालक थे। उन्हीं की कृपा से ही राजा नरवाहनदत्त चक्रवर्ती राजा की श्रेष्ठ पदवी प्राप्त कर सका। अन्य वक्ताओं ने कहा कि दुनिया की खोज करने वाले कोलंबस व वास्कोडिगामा निषादवंशीय थे। भारत में आर्यों के आगमन के पूर्व निषाद सभ्यता व संस्कृति चरम पर थी, परंतु आर्यों के आगमन के बाद निषादों की सभ्यता व संस्कृति नष्ट कर दी गई। देश के स्वाधीनता संग्राम में निषादों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। केवट भी प्रभु श्री राम के अनन्य भक्त थे। अयोध्या के राजकुमार केवट जैसे सामान्यजन का निहोरा कर रहे हैं। यह समाज की व्यवस्था की अद्भुत घटना है। केवट चाहता है कि वह अयोध्या के राजकुमार को छुए। उनका सान्निध्य प्राप्त करें। उनके साथ नाव में बैठकर अपना खोया हुआ सामाजिक अधिकार प्राप्त करें। अपने संपूर्ण जीवन की मजूरी का फल पा जाए। प्रभु राम वह सब करते हैं, जैसा केवट चाहता है। उसके श्रम को पूरा मान-सम्मान देते हैं। केवट राम राज्य का प्रथम नागरिक बन जाता है। वक्ताओं ने कहा कि राम त्रेता युग की संपूर्ण समाज व्यवस्था के केंद्र में हैं, इसे सिद्ध करने की जरूरत नहीं है। कार्यक्रम में जितेन्द्र यादव, जिला मीडिया प्रभारी संतोष यादव, महानगर मीडिया प्रभारी संदीप शर्मा, रामकुमार यादव, अवधेश सिंह यादव, अखिलेश यादव आदि शामिल रहे। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर

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