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सपा को उच्च सदन में प्रोटेम सभापति के पद पर वरिष्ठतम सदस्य का चयन दरकिनार किए जाने का डर

-विधान परिषद सभापति का तत्काल निर्वाचन कराये जाने की मांग -वर्तमान सभापति रमेश यादव का इस महीने के अंत में समाप्त हो रहा कार्यकाल लखनऊ, 29 जनवरी (हि.स.)। विधान परिषद चुनावों के बाद बाद उच्च सदन में प्रोटेम सभापति को लेकर सियासत तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी को डर है कि सत्तारूढ़ दल प्रोटेम सभापति के पद पर वरिष्ठतम सदस्य का चयन न करके अपनी मनोनीत नेता को प्रोटेम सभापति बनाकर बहुमत होने तक समय गुजार सकता है। दरअसल उच्च सदन में सपा अभी भी सबसे बड़ा दल है। पार्टी ने उच्च सदन के वरिष्ठतम सदस्य को ही प्रोटेम सभापति बनाए जाने और राज्यपाल से तत्काल विधान परिषद सभापति का निर्वाचन कराये जाने की मांग की है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शुक्रवार को पार्टी के विधान परिषद सदस्यों के साथ बैठक की। इसमें आशंका व्यक्त की गई कि भाजपा विधान परिषद में लोकतांत्रिक व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने की साजिश कर रही है। बैठक में विधान परिषद के सभापति का चुनाव कराने की मांग की गई। राज्यपाल से लोकतांत्रिक परम्पराओं की रक्षा की अपील भी की जाएगी। विधान परिषद सदस्यों की बैठक में सदस्यों ने यह आशंका जताई कि स्थापित मान्यताओं के विपरीत भाजपा प्रोटेम सभापति के पद पर वरिष्ठतम सदस्य के चयन को दरकिनार कर अपने मनोनीत द्वारा प्रोटेम सभापति पद के रूप में शेष अवधि तक कार्य संचालन कराने की रणनीति पर काम कर रही है। भाजपा के पास विधान परिषद में न तो बहुमत है और नहीं वरिष्ठतम कार्यकाल का कोई विधान परिषद सदस्य है। पार्टी के विधान परिषद सदस्यों ने वरिष्ठतम सदस्य को प्रोटेम सभापति बनाए जाने और अविलम्ब विधान परिषद सभापति का निर्वाचन कराए जाने की मांग की है। बैठक में विधान परिषद के सदस्यगण बलराम सिंह यादव, राजेन्द्र चौधरी, सुनील सिंह साजन, डॉ. राजपाल कश्यप, आनन्द भदौरिया, अरविन्द कुमार सिंह, शषांक यादव, संतोष यादव सनी, राकेश कुमार यादव गुड्डू, रामवृक्ष सिंह यादव, वासुदेव यादव, राम अवध यादव, हाजी मोहम्मद इमलाक खान, अमित यादव, डॉ. दिलीप यादव, अरविन्द प्रताप यादव, शैलेन्द्र प्रताप सिंह, राजेश कुमार यादव, आशु मलिक आदि उपस्थित थे। दरअसल इस महीने के अन्त में जिन सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो रहा है उनमें सपा के रमेश यादव भी शामिल हैं। रमेश ही इस समय विधान परिषद के सभापति हैं। रमेश यादव का विधान परिषद सदस्य के तौर पर कार्यकाल खत्म होने के साथ ही भाजपा की निगाहें सभापति के आसन पर हैं। लेकिन, जो परिस्थिति है उसमें प्रोटेम सभापति की परिस्थिति पैदा हो रही है। चुनाव उसके बाद ही हो पाएगा। ऐसे में भाजपा की तरफ से प्रोटेम स्पीकर को लेकर रणनीति पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। चर्चा है कि भाजपा सदन के किसी मध्यम मार्गी व्यक्ति को प्रोटेम सभापति बनवाएगी। इसके बाद बहुमत की प्रतीक्षा करेगी। स्थानीय निकाय प्राधिकारी क्षेत्र के चुनाव होने के बाद जब सदन में भाजपा का बहुमत हो जाएगा तब वह चुनाव कराकर अपने सदस्य को पूर्णकालिक सभापति बनवाने की कोशिश करेगी। हिन्दुस्थान समाचार/संजय-hindusthansamachar.in

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