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सिफरी ने गंगा नदी में छोड़े बीस हजार मत्स्य बीज

प्रयागराज, 13 मार्च (हि.स.)। माण्डा के नरवर चौखट्टा गांव में विलुप्त हो रहे मत्स्य प्रजातियों के संरक्षण एवं संवर्धन को ध्यान में रखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-केन्द्रीय अंतर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सिफरी) प्रयागराज द्वारा शनिवार को गंगा नदी में बीस हजार भारतीय प्रमुख कार्प कतला, रोहू, मृगल मछलियों के बीज को रैंचिंग कार्यक्रम के तहत छोड़ा गया। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के अन्तर्गत आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व अधिकारी भारतीय खाद्य निगम भारत सरकार मानवेंद्र सिंह ने कहा कि गंगा है तो मानव सभ्यता है। इसलिए सभी को गंगा के प्रति जागरूक होना चाहिए। संस्थान के केन्द्राध्यक्ष डॉ. डी.एन झा ने लोगों को नमामि गंगे परियोजना के बारे में जानकारी दी, जिसके अन्तर्गत पूरे गंगा नदी में कम हो रहे महत्वपूर्ण मत्स्य प्रजातियों के बीज का रैंचिंग होना रखा गया है। संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. अबसार आलम ने रैंचिंग के महत्व को बताया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि गंगा विचार मंच प्रयागराज के संयोजक राजेश शर्मा ने गंगा के महत्व तथा इसके संरक्षण के बारे में लोगों को अवगत कराया एवं गंगा के जैव विविधता को बचाने के लिए उपस्थित लोगों से आह्वान किया। संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. वेंकटेश ठाकुर ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में गंगा विचार मंच, आस-पास गांव के मत्स्य पालक, मत्स्य व्यवसायी तथा गंगा तट पर रहने वाले स्थानीय लागों सहित संस्थान के शिव जनम वर्मा, जितेन्द्र कुमार, राम सजीवन आदि मौजूद रहे। हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/संजय

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