श्रीराम जन्मभूमि : पैदल गए थे बलिया के कारसेवक, कोठारी बंधुओं के साथ गुजारी थी रात
श्रीराम जन्मभूमि : पैदल गए थे बलिया के कारसेवक, कोठारी बंधुओं के साथ गुजारी थी रात

श्रीराम जन्मभूमि : पैदल गए थे बलिया के कारसेवक, कोठारी बंधुओं के साथ गुजारी थी रात

- 30 अक्टूबर 1990 को पैदल जाकर अयोध्या में की थी कारसेवा पंकज राय बलिया, 01 अगस्त (हि.स.)। 5 अगस्त को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण के लिए शिलान्यास होने वाला है। उसके लिए हुए संघर्ष के दौर में बलिया के कारसेवकों ने भी पैदल ही अयोध्या कूच किया था। अब इन कारसेवकों की आंखों में चमक दिख रही है। 30 अक्टूबर 1990 में अयोध्या में शिलान्यास के दौरान अपनी आंखों के सामने गोलियों से कारसेवकों को भूने जाते देखने वाले कारसेवक श्रीराम मंदिर को आकार लेते देख काफी खुश हैं। उन्हीं में से एक हैं बलिया के बैरिया तहसील के मधुबनी गांव निवासी अशोक केसरी। वे तब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में अपने गांव की शाखा में मुख्य शिक्षक थे और बीएड के छात्र थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वारा अक्टूबर महीने में अयोध्या में होने वाली कार सेवा के लिए जो निर्देश मिले थे उसके तहत अशोक केसरी करीब दर्जन भर लोगों के साथ ट्रेन का टिकट लेकर चले थे। उनकी ट्रेन अयोध्या से पहले शाहगंज में ही पुलिस द्वारा रोक दी गई। क्योंकि तब ट्रेनों को वहां से आगे नहीं बढ़ने दिया जा रहा था। वहां से अशोक केसरी और अन्य कारसेवक पैदल ही अयोध्या के लिए रवाना हुए थे। करीब दो सौ किलोमीटर के रास्ते में पहली शाम एक गांव में एक परिवार के द्वारा खूब हुई आवभगत के साथ बीती थी। अशोक केसरी बताते हैं कि तब उस परिवार ने बड़ी श्रद्धा के साथ भोजन कराया था। इसके बाद अगली सुबह हम लोग जब चलें तो अकबरपुर के आगे एक गांव में एक युवक ने हमें रोका और अपने घर ले गया। उसके घर हम सभी लोगों को जो 20-22 की संख्या में हो गए थे, दूध और रोटी दी गई। अभी हम लोग दूध और रोटी खा ही रहे थे तभी उस युवक की मां ने कहा आप लोग जल्दी से भोजन कर लीजिए और यहां से चले जाइए। नहीं तो पुलिस पकड़ लेगी। क्योंकि मेरा बेटा पुलिस को बुलाने गया है। उस मां के कहने पर हम लोगों ने जल्दी से खाना खाया और निकल पड़े। इसके बाद रास्ते में छुपते-छुपाते हम लोग किसी तरह अयोध्या पहुंचे, जहां मणिराम छावनी में अशोक सिंघल से मुलाकात हुई। तब अशोक सिंघल अचानक हम लोगों के सामने डीआईजी के वेश में अवतरित हुए थे। उन्होंने फौरन ड्रेस उतारा और धोती-कुर्ता पहनकर बस यही कहा कि अब कारसेवा में देर किस बात की? इसके बाद वहां से हजारों कारसेवकों का जत्था श्रीराम जन्मभूमि के लिए चला। भीड़ इतनी अधिक थी कि लगा जैसे हमलोग अपने आप ही पहुंच गए। पूरी अयोध्या में जिधर देखो उधर ही वर्दीधारी दिखते थे। दूसरी तरफ अयोध्या कारसेवकों से पट गई थी। अशोक केसरी ने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि से कुछ दूर पहले दो-तीन बैरियर थे, जिसे एक साधु ने पुलिस की एक बस को अपने कब्जे में लेकर चलाते हुए तोड़ दिया। इसके बाद अयोध्या में ही एक मौनी बाबा के आश्रम में मेरे साथ ही दो दिनों तक सोए कोठार बंधु (रामकुमार व शरद) जोश में आगे बढ़ गए। अशोक केसरी ने बताया कि कारसेवकों का जत्था कुछ दूर और आगे बढ़ा तो जो कोठारी बंधु (राजकुमार कोठारी और शरद कोठारी) हम लोगों के साथ चल रहे थे, वे राजस्थान से आए कारसेवकों के ग्रुप में आगे निकल गए। फिर कोठारी बंधु राम जन्म भूमि की ओर बढ़े। दोनों युवक गुम्बद पर चढ़ गए। इसी दौरान हमने देखा कि एक तिराहे पर उमा भारती को महिला पुलिसकर्मी पीट रही हैं। जब उमा भारती घायल हो गईं तो उन्हें एक वाहन में बैठाकर वही पुलिसकर्मी अन्यत्र ले कर चली गईं। इसके बाद जोश में कारसेवकों का दस-पन्द्रह हजार का जत्था रामजन्मभूमि की ओर बढ़ा। जहां कई लोग पुलिस की गोलियों का शिकार हुए। हम लोग भी कार सेवा के दौरान मची भगदड़ के बाद पुलिस द्वारा मुहैया कराई गई बस से वाराणसी आए और फिर वहां से वापस बलिया। श्री केसरी ने कहा कि आज जब हमारी आंखों के सामने अयोध्या में भव्य श्री राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण होने वाला है। इसे हम शब्दों में बयां नहीं कर सकता। फिलहाल मधुबनी में ही जूनियर हाईस्कूल के प्रिंसिपल अशोक केसरी ने कहा कि 5 अगस्त को हम सभी ने अपने घरों में दीपावली मनाने की तैयारी की है। वह दिन पांच सौ वर्ष के संघर्ष के बाद आ रहा है। हिन्दुस्थान समाचार/पंकज/राजेश-hindusthansamachar.in

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