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दंप्रसं की धारा 125 का उद्देश्य तत्काल राहत देनाः हाईकोर्ट

प्रयागराज, 27 जनवरी (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 का लागू करने का उद्देश्य महिलाओं, बच्चों और बुजुर्ग अभिभावकों को तत्काल राहत पहुंचाना और उनको दर-दर भटकने से बचाना है। कोर्ट ने कहा कि यह धारा समरी प्रकृति की है तथा इसका उद्देश्य तत्काल राहत पहुंचाना है। कोर्ट ने इस धारा के तहत परिवार न्यायालय महोबा द्वारा पारित भरण पोषण के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है। महोबा के अलखराम की याचिका खारिज करते हुए यह निर्णय न्यायमूर्ति डा. वाईके श्रीवास्तव ने सुनाया। याची के खिलाफ उसकी पत्नी उमादेवी ने 125 सीआरपीसी के तहत मेनटेंस देने का दावा प्रधान परिवार न्यायाधीश के समक्ष पेश किया था। कोर्ट ने 20 अक्टूबर 16 को आदेश पारित किया। इसके बाद भी याची ने पत्नी को मेनटेंस नहीं दिया तो उसने 125(3) के तहत अर्जी दाखिल कर आदेश का अनुपालन कराने का अनुरोध किया। कोर्ट ने याची को मुआवजे का भुगतान करने का आदेश दिया तो उसने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर इसे चुनौती दी थी। साथ ही आदेश वापस लेने के लिए प्रधान पारिवारिक न्यायाधीश के समक्ष अर्जी दाखिल की। अपर महाधिवक्ता ने याचिका की पोषणीयता पर आपत्ति करते हुए कहा कि याची ने मेनटेंस का भुगतान नहीं किया है।उसने आदेश वापस लेने की अर्जी भी दाखिल कर रखी है। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याची अधीनस्थ न्यायालय में दाखिल अर्जी को बल दे। हिन्दुस्थान समाचार/आर.एन/विद्या कान्त-hindusthansamachar.in

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