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माघ मेले में वैज्ञानिकों ने कृषि वानिकी मॉडल की दी जानकारी

प्रयागराज, 09 फरवरी (हि.स.)। पूर्वी उत्तर प्रदेश में विभिन्न कृषि वानिकी मॉडलों का चुनाव, स्थापन तथा बिक्री सम्बन्धित तकनीकी से अवगत कराने के उद्देश्य से माघ मेला में पारि-पुनर्स्थापन वन अनुसंधान केन्द्र द्वारा कृषि वानिकी विषय पर प्रशिक्षण दिया गया। केन्द्र प्रमुख डॉ. संजय सिंह तथा वैज्ञानिकों ने भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद, देहरादून के अन्तर्गत पारि-पुनर्स्थापन वन अनुसंधान केन्द्र, प्रयागराज के वन क्षेत्र की तरफ उन्मुख कार्यों तथा माघ मेला में आयोजित प्रदर्शन शिविर के उद्देश्य से अवगत कराते हुए रूबरू कराया। केन्द्र की वरिष्ठ वैज्ञानिक तथा शिविर संयोजक डॉ. कुमुद दुबे ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में वनों को बढ़ावा देने सम्बन्धित केन्द्र के प्रयासों पर चर्चा करने के साथ मीलिया डूबिया तथा महुआ प्रजाति के कृषि वानिकी प्रयोग से अवगत कराते हुए पर्यावरण में इसके हस्तक्षेप से परिचय कराया। वैज्ञानिक डॉ. अनुभा श्रीवास्तव ने केन्द्र में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद उप्र, लखनऊ के वित्तीय सहयोग से चल रही परियोजना यथा पूर्वी उप्र में कृषि वानिकी का विकास के अन्तर्गत आँवला तथा सागौन आधारित कृषि वानिकी के बारे में जानकारी दी। केन्द्र के वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी डॉ. एस.डी शुक्ला ने सतावर से होने वाले लाभों से अवगत कराया। विभिन्न परियोजनाओं में कार्यरत शोधार्थियों ने अलग अलग विषयों पर अपने-अपने अनुभव साझा किये, जिसमें योगेश अग्रवाल ने मसालों के साथ वानिकी प्रजातियों, अमन मिश्रा-मीलिया डूबिया तथा महुआ, अमित कुमार-यूकेलिप्टस, चार्ली-पॉपलर, हरिओम शुक्ला-सागौन व आंवला, विनीत-बांस, सत्यव्रत सिंह-औषधीय पौधों, विनय-विभिन्न प्रजाति तथा शशि प्रकाश-गम्भार आदि पर चर्चा की। कार्यक्रम डॉ.अनुभा श्रीवास्तव तथा डॉ. एस.डी शुक्ला के मार्गदर्शन में हुआ। कार्यक्रम में उन प्रगतिशील किसानों आर.के सिंह, ओ.पी मिश्रा, मुन्नू कुमार तथा अन्य ने भी भाग लिया जो पूर्व में केन्द्र द्वारा आयोजित कार्यक्रम के माध्यम से कृषि वानिकी क्षेत्र में लाभ प्राप्त किये हैं। हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/संजय-hindusthansamachar.in

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