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राख में मिट्टी का तेल मिलाकर पौधों पर बुरकाव कर लाल कीट से बचाएं फसल: धर्मराज सिंह

- कद्दू वर्गीय फसलों में लाल कीट लगने से उत्पादन में आती है कमी कानपुर, 23 अप्रैल (हि.स.)। कद्दू वर्गीय फसलों में लौकी, कद्दू, खीरा, ककड़ी, खरबूज एवं तरबूज आता है। इन फसलों में अप्रैल के महीने में लाल भृंग कीट (लाल कीट) बहुतायत से आता है जो पतियों की हरितमा (हरा भाग) समाप्त कर पत्तियों को जाली दार बना देता है। यह कीट शुरु की अवस्था में कभी-कभी पूरी फसल को नष्ट कर देता है, जिससे किसान भाइयों को आर्थिक क्षति होती है। इस कीट फसलों को बचाने का सबसे बेहतर तरीका है कि जुताई के समय गहरी जुताई करें। इसके साथ ही जब फसल में कीट लगने लगे तो राख में मिट्टी का तेल मिलाकर पौधों पर बुरकाव करें। यह बातें सीएसए के कीट विज्ञान विभाग के प्रोफेसर एवं अधिष्ठाता कृषि संकाय डा. धर्मराज सिंह ने कही। चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय (सीएसए) के कीट विज्ञान विभाग के प्रोफेसर एवं अधिष्ठाता कृषि संकाय डा. धर्मराज सिंह ने बताया कि प्रौढ़ कीट प्यूपा से निकलने के बाद पीला रंग का होता है तथा बाद में लाल रंग में बदल जाता है। इस कीट का संपूर्ण जीवन काल 30 से 60 दिन का होता है। इस कीट से बचाव के लिए फसल बुवाई के पूर्व खेत में गहरी जुताई कर देनी चाहिए। जिससे भूमि की ऊपरी सतह पर आकर कीट के अंडे नष्ट हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि इस कीट का प्रकोप कद्दू वर्गीय फसलों में अधिक होता है। अप्रैल के महीने में खड़ी फसल की जड़ों के पास गुड़ाई करने से अंडे नष्ट हो जाते हैं जिससे फसल को बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यदि लाल कीट का प्रकोप फसलों पर ज्यादा हो तो मेलाथियान कीटनाशक 50 ई.सी. की 1.25 लीटर मात्रा को 400 से 500 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें। इसके साथ ही ध्यान रहे कि छिड़काव के 1 सप्ताह बाद ही फलों की तूड़ाई की जाए अन्यथा दवा के अवशेष फलों में रह जाते हैं जो मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। अधिक रसायन के प्रयोग से खत्म हो जाते हैं मित्र कीट इसके साथ ही डा. धर्मराज सिंह ने किसान भाइयों को सुझाव दिया है कि इस समय जो भी खीरा, ककड़ी, तरबूज, खरबूज की फसलें खेतों में खड़ी हैं उनमें ज्यादा विषाक्त वाली जहरीली दवाओं का प्रयोग न करें। इनके प्रयोग से दुश्मन कीट के साथ ही मित्र कीट भी मर जाते हैं तथा वातावरण भी प्रदूषित होता है। इसके लिए जरुरी है कि किसान भाई मिथाइल यूजीनाल ट्रैप का प्रयोग करें। यह ट्रैप सुरक्षित एवं इको फ्रेंडली है। हिन्दुस्थान समाचार/अजय

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