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अधिकार नहीं, कर्तव्य प्रधान समाज की स्थापना करता है सनातन धर्म : डॉ गिरीश चन्द त्रिपाठी

गाजीपुर, 18 मार्च (हि.स.)। 700 वर्ष प्राचीन सिद्धपीठ हथियाराम मठ के 26वें पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर भवानीनंदन यति जी महाराज के दायित्व निर्वहन के 25 वर्ष पूरा होने पर रजत जयंती समारोह का आयोजन हुआ। समारोह में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति व उच्च शिक्षा आयोग के चेयरमैन डॉ गिरीश त्रिपाठी ने कहा कि भारतीय सनातन संस्कृति में अधिकार प्रदान नहीं बल्कि कर्तव्य प्रधान समाज को महत्व दिया जाता है। यह वह समाज है जहां स्त्रियों का स्थान पुरुषों से ऊंचा है। जिसका प्रमाण हमें रामचरितमानस में भी मिलता है। उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम जब पिता की आज्ञा पाकर बन के लिए निकले तब श्रीराम को माता कौशल्या ने एक बार यह कह कर रोक दिया कि जाकर पिता से कह दो कि माता ने जाने से मना कर दिया है। लेकिन जैसे ही उन्हें पता चला कि आदेश में माता कैकेई का भी साथ है। उन्होंने तुरंत कह दिया कि अगर माता ने भी कहा है तो वन जाना आवश्यक है। इस बात से संदेश मिलता है कि भारतीय समाज में सदैव से महिलाओं का स्थान पुरुषों से ऊंचा रहा है। उन्होंने कहा कि मातृ ऋृण ही एक ऐसा ऋण है जिससे कभी उद्धार नहीं पाया जा सकता। इस संसार में गुरु पिता सहित सभी तरह के ऋण मुक्ति किए जा सकते हैं लेकिन माता के ऋण नहीं चुकाया जा सकता। सत्य सनातन धर्म यह संदेश देता है जिस घर में नारियों का सम्मान है वहां लक्ष्मी का वास होता है। नारी शक्ति पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि हमारे देश की नारी में वह ताकत है जब लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला ने संजीवन बूटी ले जाते समय हनुमान की चिंता पर जवाब देते हुए कहा कि जब तक आप लंका नहीं पहुंचेंगे तब तक सूर्य उदय नहीं हो सकता। यह नारी इच्छाशक्ति का प्रमाण था। उन्होंने सिद्धपीठ के शिष्यों को भाग्यशाली बताया हुए कहा कि आप सौभाग्यशाली हैं जहां आपको इस प्रकार के गुरुओं का मार्गदर्शन प्राप्त होता है। 25 वर्षों के साधना, तपस्या के फलस्वरुप शिष्यों से दक्षिणा मांगे महामंडलेश्वर सिद्धपीठ हथियाराम मठ के 26वें पीठाधीश्वर स्वामी भवानीनंदन यति जी महाराज अपने दायित्व निर्वहन के 25 वर्ष पूर्ण होने पर शिष्य समुदाय द्वारा आयोजित रजत जयंती समारोह में भावुक हुए। उन्होंने उपस्थित श्रद्धालुओं से खुद के लिए आशीर्वाद की कामना कर डाली। भावुक मन से संबोधित करते हुए श्री यति जी महाराज ने कहा कि सिद्धपीठ के ब्रह्मलीन गुरुजनों के त्याग, तपस्या के फलस्वरूप उत्तरोत्तर वृद्धि कर रहे इस सिद्धपीठ में मैं आकर धन्य हो गया। आज 25 वर्षों की तपस्या, साधना के फलस्वरुप मैं खुद आज अपने शिष्यों से आशीर्वाद प्राप्त करने आया हूं। हल्द्वानी से पधारे आचार्य महामंडलेश्वर परेश यति जी महाराज ने कहा कि पूर्व से चली आ रही ऋषि परंपरा ही सर्वश्रेष्ठ है। 25 वर्ष की उपलब्धियों के दर्शन की कामना लिए आप सभी की मनोकामना सिद्धपीठ को मजबूत बनाती है। संतों का संकल्प मात्र मंगलमई है, जिसके आशीर्वाद के लिए भाव स्वरूप पात्रता आवश्यक है। जूना अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर हल्द्वानी उत्तराखंड से आए महामंडलेश्वर सोमेश्वर यति जी महाराज ने कहाकि धर्म की राह पर चलना ही मानव जीवन के कल्याण को संभव करेगा। उन्होंने कहा कि, वेद पुराण के साथ ही पुरुषों के बताए मार्ग पर चलना ही श्रेयस्कर साबित होगा। सिद्धपीठ द्वारा संस्कृति की रक्षा के लिए कन्या महाविद्यालय की स्थापना की गई जिससे अध्ययनरत छात्राओं के माध्यम से संस्कार का निर्माण होता है। उन्होंने कहा कि संस्कार हीन परिवार ही लव जिहाद का शिकार होता है। ऐसे में हम अपने बहन-बेटियों सहित परिवार में संस्कार युक्त शिक्षा दें जिससे ऐसी कुरीतियों से बचा जा सकता है। मथुरा वृंदावन से आए वरिष्ठ महामंडलेश्वर मोहनानन्द महाराज ने सिद्धपीठ पर पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर के 25 वर्षों के कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए श्रद्धालुओं को सौभाग्यशाली बताया जिन्हें ऐसे गुरुजनों का आशीर्वाद प्राप्त हो रहा है। मुख्य अतिथियों का स्वागत उच्च प्राथमिक विद्यालय हथियाराम की छात्राओं ने "गुरु में संसार समाया, उनका आशीष है पाया" जिस पर लोगों ने खूब तालियां बजाई। इस अवसर पर शास्त्रीय संगीत गायक वाराणसी से आए रत्नेश दुबे ने "सजा दो घर को गुलशन सा, मेरे सरकार आए हैं"। सुनाने के साथ ही तमाम भजन सुनाए जिसमें मगन होकर श्रोता झूमते नजर आए। स्वामी बालकृष्ण यति कन्या महाविद्यालय की छात्राओं ने समवेत स्वर में गीता पाठ कर भावविभोर कर दिया। मंच का संचालन डॉ. संतोष यादव ने किया। इस अवसर पर वृंदावन से पधारे प्रख्यात कथाकार ठाकुर जी महाराज, संत देवराहा बाबा, आचार्य संजय पाण्डेय, आचार्य बालकृष्ण पांथरी, सर्वेश पाण्डेय, प्राचार्य डॉ रत्नाकर त्रिपाठी, श्रवण तिवारी, आचार्य शरवेंद्र चन्द्र पाण्डेय, दीपक जी महाराज, रमाशंकर राजभर, दीपक जी महाराज, सुभाष गोयल इंदौर, विजय नारायण राय, डॉ रत्नाकर त्रिपाठी, बालकृष्ण पांथरी, कन्हैया जी महाराज, आनंद सिंह, आनन्द मिश्रा, विजय शंकर राय, लौटू प्रसाद सहित हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहें। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीराम

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