कोरोना के खात्मे के लिए सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के आचार्यों ने किया नवचंडी यज्ञ
कोरोना के खात्मे के लिए सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के आचार्यों ने किया नवचंडी यज्ञ

कोरोना के खात्मे के लिए सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के आचार्यों ने किया नवचंडी यज्ञ

-अरणी मंथन के द्वारा अग्नि को प्रकट किया गया, जिलाधिकारी भी हुए शामिल -वेद भवन यज्ञशाला के नव कुंडों में किया हवन वाराणसी, 30 जून (हि.स.)। वाराणसी सहित पूरे देश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे को देख सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के वेद विभाग के आचार्यो ने मंगलवार को राष्ट्र में सुख शान्ति और विश्व कल्याण के लिए (दुर्गाशप्तसती पाठ) नवचंडी यज्ञ एवं हवन किया। इसमें वाराणसी के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा भी शामिल हुए। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.राजाराम शुक्ल की अध्यक्षता में वेद विभाग के स्मार्थ यज्ञ मण्डप में प्रात 07.30 बजे से शुरू यज्ञ मे आचार्यो ने दुर्गा शप्तसती पाठ किया। जिसमें यजमान की भूमिका में कुलपति रहे। विधि पूर्वक पूजा और हवन यज्ञ करने के पूर्व सर्वप्रथम पंचांग पूजन,वास्तु मण्डल पूजन, योगिनी मण्डल पूजन,क्षेत्रफल पूजन तथा भगवती पूजन किया गया।प्रधान कुण्ड में आहुति दी गई। हवन समाप्ति के बाद जिलाधिकारी और कुलपति ने यज्ञशाला के बगल में संयुक्त रूप से आंवले का पौधरोपण किया। इस दौरान जिलाधिकारी ने कहा कि विश्व कल्याण, कोरोना महामारी को दूर करने एवं विश्व शान्ति के लिये इस विश्वविद्यालय के द्वारा नवचंडी महायज्ञ किया गया। इससे निश्चित ही विश्व शान्ति होगी। उन्होंने कहा कि यह परम्परागत शिक्षा का अति प्राचीन स्थल है। यहाँ पर परम्परा के अनुसार ही आचार्यों के द्वारा नव कुंडों पर यह यज्ञ सम्पादित किया गया। नवचण्डी यज्ञ से देश के लोग लाभान्वित होंगे कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल ने बताया कि यज्ञ के लिये अरणी मंथन के द्वारा अग्नि को प्रकट किया गया। प्राचीन भारतीय संस्कृति में दिनचर्या का शुभारंभ हवन, यज्ञ, अग्निहोत्र आदि से होता था। उन्होंने कहा कि तपस्वी और ऋषि मुनि,गृहस्थ ,बटुक ब्रह्मचारी नित्य प्रति यज्ञ करते थे। आज वर्तमान परिस्थिति में कोरोना महामारी को दूर करने तथा विश्व शान्ति को बनाने के लिये दुर्गाशप्तसती(नवचंडी) पाठ एवं हवन, चंडी यज्ञ वेद भवन के यज्ञशाला के नव कुंडों में किया गया। जिसमे प्रत्येक कुण्ड के फल के अनुसार क्रमश: चतुरस्त्रकुण्ड-मनोकामना पूर्ण हेतु,योनि कुण्ड-सृष्टि हेतु, अर्धचन्द्र कुण्ड-मंगल कार्य पूर्ति, त्रिकोड़ कुण्ड-शत्रु नाश के लिये, वृत्तकुण्ड-आर्थिक वृद्धि एवं विश्वशान्ति हेतु, पद्म कुण्ड-सुखद वृष्टि के लिये, षटकोण कुण्ड-मृत्यु भय दूर करने, अष्टात्र कुण्ड-अरोज्ञता एवं लक्ष्मी प्राप्ति,आचार्य कुण्ड-ज्ञान प्राप्ति के लिये यह हवन यज्ञ किया गया। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/दीपक-hindusthansamachar.in

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