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चित्रकूट में लगभग 5 वर्षों से करोड़ों का उपखनिजों की राॅयल्टी हुई चोरी

- निर्माण कार्यों में ठेकेदारों ने राॅयल्टी चोरी कर सरकार को लगाई करोड़ों की चपत - जिलाधिकारी ने ग्राम पंचायतों में नहीं कराई विधिवत जांच चित्रकूट, 05 मार्च (हि.स.)। जिले के ग्राम पंचायतों के निर्माण कार्यों में प्रयुक्त होने वाली खनिज सामग्री में राॅयल्टी चोरी का करोड़ों रूपये का घोटाला प्रकाश में आया है। ग्राम पंचायत में शासनादेश के मुताबिक राॅयल्टी नहीं जमा की गई। उक्त धनराशि को खण्ड विकास अधिकारियों और ठेकेदारों ने मिलकर हजम कर लिया। जिलाधिकारी ने राॅयल्टी चोरों के खिलाफ कोई ठोस कार्यवाही आज तक नहीं की है। शुक्रवार को जिला पंचायत के पूर्व संदस्य डा0 रमेश चन्द्र पटेल ने आरोप लगाते हुए बताया कि 18 दिसम्बर 2020 को भूतत्व एवं खनि कर्म विभाग उ0प्र0 लखनऊ के सचिव को पत्र भेजकर राॅयल्टी चोरी के सम्बन्ध में अवगत कराया कि जिलाधिकारी चित्रकूट ने शासनादेश पर ग्राम पंचायतों के निर्माण में प्रयुक्त सामग्री में राॅयल्टी की दरें निर्धारित की थीं किसी भी ठेकेदार व कार्यदायी संस्था ने न तो परिवहन पत्र (रवन्ना) पेश किया और न ही राॅयल्टी का भुगतान किया। शासनादेश के अनुसार राॅयल्टी न देने पर 6 गुना राॅयल्टी कटौती के आदेश का चित्रकूटधाम कर्वी, मानिकपुर, मऊ, रामनगर, पहाड़ी खण्ड विकास अधिकारियों द्वारा जमकर उल्लंघन किया गया है। मौजूदा समय में ठेकेदारों व कार्यदायी संस्थाओं / ग्राम पंचायतों में करोड़ों रूपये की राॅयल्टी चोरी कर शासन के राजस्व को हानि पहुंचायी है। आश्चर्य की बात है कि खण्ड विकास अधिकारियों ने राॅयल्टी की कटौती किये बिना ही समस्त निर्माण कार्यों का भुगतान करके सरकार का करोडो का नुकसान किया है। राॅयल्टी घोटाला कर सम्बन्धित अधिकारियों द्वारा सरकारी धन का बंदरबांट किया गया है। पूर्व जिला पंचायत सदस्य के शिकायती पत्र को गम्भीरता से लेते हुये भूतत्व एवं खनि कर्म विभाग के सचिव ने अपने पंत्राक संख्या 2462 / 86 - 2020 दिनांक 04.02.2021 को जिलाधिकारी चित्रकूट को पत्र भेजकर पूरे मामले की जांच कर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। जिसके तहत अपर जिलाधिकारी वित्त राजस्व ने अपने पत्रांक 1916 / खनिज / 2020-21 दिनांक 19.02.2021 के माध्यम से सभी खण्ड विकास अधिकारियों को पत्र लिखकर जिले की समस्त ग्राम पंचायतों द्वारा निर्माण कार्यों में प्रयुक्त होने वाली उप खनिजों की राॅयल्टी चोरी घोटाला किये जाने के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी मांगी है। पूर्व जिलाधिकारी श्रीमती नीलम अहलावत ने 23 जनवरी 2016 को ग्रेनाइड, गिट्टी, सैण्ड स्टोन, मिट्टी, ढोका, स्टोन डस्ट आदि इमारती सामग्री पर राॅयल्टी की दरें शासनादेश के मुताबिक निर्धारित कर सार्वजनिक निर्माण कार्यों में प्रयुक्त होने वाली सामग्री में जमा कराने के निर्देश जारी किये थे। लेकिन खण्ड विकास अधिकारियों ने राॅयल्टी जमा न कराकर आपस में ही ठेकेदार से सांठगांठ करके सरकार को करोड़ों का नुकसान पहुंचा दिया। जबकि शासनादेश के मुताबिक राॅयल्टी न जमा करने वाली ग्राम पंचायतों में निर्माण कार्यों का भुगतान करते समय राॅयल्टी कटौती काटकर सरकार के लेखा शीर्षक 0853 में जमा करानी थी। यह घोटाला वर्ष 2017-18 से अद्यतन 2020-21 तक हुआ जिसमें सरकार को करोड़ों की राजस्व की क्षति हुई है। जिसकी शिकायत पूर्व जिला पंचायत सदस्य डा0 रमेश चन्द्र पटेल द्वारा की गई लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने इस जांच को गम्भीरता से नहीं लिया और सरकार को करोड़ों का चूना लगा दिया। बता दें कि, यदि जिलाधिकारी द्वारा राॅयल्टी चोरी का घोटाला विधिवत तरीके से कराया जाता तो सैकड़ों प्रधान ब्लैक लिस्टेड हो जाते और उन्हें दोबारा प्रधानी करने का मौका नसीब नहीं हो पाता। लेकिन जिला प्रशासन की लापरवाही से चित्रकूट में प्रधानों के लिये रामराज्य रहा। हिन्दुस्थान समाचार /रतन

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