Rises of concern on farmers' foreheads increased due to weather, agricultural university issued advisory
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मौसम से किसानों के माथे पर बढ़ीं चिंता की लकीरें, कृषि विवि ने जारी की एडवाइजरी

— फसलों के बचाव के लिए कीटनाशकों का करें प्रयोग, बंद जगहों पर रखे जानवर कानपुर, 17 जनवरी (हि.स.)। उत्तर प्रदेश में मौसम का उतार-चढ़ाव बदस्तूर जारी है और रविवार को भी कोहरे के साथ सुबह की शुरुआत हुई। सर्द हवाओं से जहां जनजीवन अस्तव्यस्त रहा तो वहीं रवी की फसलों पर रोग लगने की संभावना बढ़ गयी है। इसके साथ ही जानवरों को यह कड़ाके की सर्द परेशान कर रही है। ऐसे में किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ गयी हैं। इसको लेकर कृषि विश्वविद्यालय ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है, जिससे किसानों को काफी हद तक राहत मिल सकती है। हवाओं की दिशाएं बदलने से भले ही बर्फीली हवाओं का कहर कमजोर हो रहा है, पर गलन बरकरार है। रविवार को भी सुबह कड़ाके की सर्दी पड़ी। हाल यह रहा कि लोगों के हाथ-पैर सुन्न हो गए। सुबह करीब साढ़े दस बजे तक आसमान में घने कोहरे की चादर छाई रही। कोहरे के साथ बढ़ी गलन से फसलों पर रोग लगने की संभावना अधिक बढ़ गयी है। वहीं इस गलन भरी सर्दी से जानवरों को बचाना किसानों की पहली प्राथमिकता है। इसको लेकर चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कृषि मौसम वैज्ञानिक डा. एस.एन. सुनील पाण्डेय ने किसानों को एडवाइजरी जारी कर दी है। उन्होंने बताया कि हवाओं की दिशाएं बदलने से शीतलहर का प्रकोप कम हुआ है, पर दक्षिणी पूर्वी हवाओं के चलने व वातावरण में आर्द्रता अधिक होने से गलन बरकरार है। बताया कि उत्तर प्रदेश के लगभग सभी जनपदों में तापमान सामान्य से कम चल रहा है। इससे रवी की फसलों के उत्पादन पर रोग लगने से असर पड़ सकता है। ऐसे में किसान भाई फसलों को रोगों से बचाने के लिए बराबर निगरानी करते रहें और दवाओं का छिड़काव करते रहें। खुले में जानवरों को रखने से बचें कृषि मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि वर्तमान मौसम को देखते हुए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे पशुओं को ठंड से बचाने के लिए सुबह-शाम पशुओं के ऊपर झूल डालें। जानवरों को रात के दौरान खुले में न बांधे और रात में खिड़कियों और दरवाजों पर जूट के बोरे के पर्दे लगाएं और दिन के दौरान धूप में पर्दे हटा दें। पशुओं को हरे और सूखे चारे के साथ पर्याप्त मात्रा में अनाज दें। पशुओं को साफ एवं ताजा पानी दिन में तीन से चार बार अवश्य पिलायें। पशुओं को साफ-सुथरे स्थान पर रखें । मुर्गियों को दें पूरक आहार वैज्ञानिक ने बताया कि मुर्गी किसानों को सलाह दी जाती है कि वे मुर्गियों को दिन में 15 से 16 घंटे प्रकाश उपलब्ध करायें। मुर्गियों को भोजन में पूरक आहार, विटामिन और ऊर्जा खाद्य सामग्री मिलाएं और साथ ही साथ कैल्शियम सामग्री भी मुर्गियों को दें । चूजों को ठंड से बचाने के लिए पर्याप्त गर्मी की व्यवस्था करें। आलू में कीटनाशक का करें छिड़काव वातावरण में नमी बढ़ने के साथ बादल छाये रहने और तापक्रम गिरने से आलू की फसल में झुलसा रोग का प्रकोप तेजी से फैलता है। इसके रोकथाम के लिए किसान भाई मैंकोजेब या रिडोमिल 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी अथवा कॉपर आक्सीक्लोराइड 3.0 ग्राम प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर 12 से 15 दिन के अन्तराल पर छिड़काव करें। आलू की फसल में सिचाई 12-15 दिन के अन्तराल पर करें। आलू की फसल में कटुआ (कटवर्म) कीट का प्रकोप दिखाई देने की संभावना है। इसके रोकथाम के लिए क्लोरपायरीफॉस 20 ईसी 2.5 लीटर / हेक्टेयर की दर से 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। आम के बागों में लग सकता है रोग कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि आम के बागों में भुनगा एवं लस्सी कीट के प्रकोप दिखाई देने के आसार है। इसके रोकथाम के लिए क्लोरपायरीफॉस 20 ई सी 2.0 मिलीलीटर या फेनिट्रोथियान 50 ई सी 3.0 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। बेर के फलों को गिरने से बचाने के लिए सुपर 6 हार्मोन 1.0 मिलीलीटर प्रति 4.5 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। केले के बागों की निराई-गुड़ाई करते समय पौधों पर मिट्टी चढ़ा दें। पत्तियों की छटाई करें तथा फूल एवं फल निकलने पर बांस अथवा लकड़ी से पौधों को सहारा दें। आम के पेड़ों में सफाई करें तथा सूखे एवं रोग ग्रस्त टहनियों को काट दें। समय से बोई गई चने की फसल यदि 10-12 सेंटीमीटर की हो जाय तो फसल की खुटाई करें। चने की फसल में कटुआ ( कटवर्म ) कीट का प्रकोप दिखाई देने की संभावना है। इसके रोकथाम के लिए क्लोरपाइरीफोस 50 % ईसी + साइपरमेथ्रिन 5 % ईसी 2.0 लीटर / हेक्टेयर की दर से 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। हिन्दुस्थान समाचार/अजय-hindusthansamachar.in

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