Responsibility of youth to save cultural heritage of Bundelkhand: Dr. Hargovind Kushwaha
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बुन्देलखण्ड की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजना युवाओं का उत्तरदायित्व : डा.हरगोविन्द कुशवाहा

- बृदावनलाल वर्मा की कृतियों में सिमटा है बुन्देली इतिहास : डा.मुन्ना तिवारी झांसी, 09 जनवरी(हि.स.)। बुन्देलखण्ड साहित्यिक एवं सांस्कृतिक प्रतिभाओं का धनी रहा है, लेकिन बुन्देलखण्ड की सांस्कृतिक एवं साहित्यिक धरोहर को सहेजना तथा उसकी रक्षा करते हुए उसमें बढोत्तरी करना आज के युवाओं का उत्तरदायित्व है। यह विचार अंतरराष्ट्रीय बौद्ध महासंघ के अध्यक्ष डॉ. हरगोविन्द कुशवाहा ने व्यक्त किये। डॉ.हरगोविंद कुशवाहा आज बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय परिसर स्थित पत्रकारिता संस्थान के सभागार में राष्ट्रीय सेवा योजना बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय तथा बुन्देलखण्ड साहित्य संगम के सयुक्त तत्वाधान में आयोजित बुन्देलखण्ड से हिन्दी के यशस्वी नाटककार तथा उपन्यासकार डा.बृन्दावनलाल की 146वीं जयन्ती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित श्रोताओ को सम्बोधित कर रह थे। उन्होंने कहा कि बुन्देलखण्ड में संस्कृति और साहित्य की परंपरा बहुत पुरानी है। इतिहास साक्षी है कि बुन्देलखण्ड की धरती पर ही चारों वेद, अठ्ठारह पुराण, उपनिषद एवं भाष्यों की रचना की गई थी। डा.वृंदावन लाल वर्मा ने बुन्देलखण्ड की उस परंपरा को जीवित रखा और आगे बढ़ाया। डा.कुशवाहा ने कहा कि डा.बृंदावन लाल वर्मा ही वह व्यक्ति हैं जिन्होंने बुन्देलखण्ड के इतिहास, संस्कृति और साहित्य का परिचय दुनिया से कराया। उन्होंने गढ़कुंडार, झांसी की रानी, विराठा की पदमिनी आदि उपन्यासों एवं नाटकों में इस क्षेत्र का सटीक चित्रण कर बुन्देलखण्ड की सांस्कृतिक और साहित्यिक संपदा में वृद्धि की है। उन्होंने कहा कि डॉ.वृंदावन लाल वर्मा ने अपने उपन्यासों तथा नाटकों के पात्रों को आम जनमानस से ही लिया, यही कारण है कि अपने नाटकों तथा उपन्यासों के लेखन हेतु उन्हांेने लगभग पूरे बुन्देलखण्ड का भ्रमण पैदल ही किया था। डॉ.कुशवाहा ने विभिन्न गीतों का उदाहरण देते हुए कहा की डॉक्टर वर्मा के साहित्य में आंचलिक तथा लोकगीतों की भरमार है। जो यहां के जनमानस को उनकी साहित्य से जोड़ते है। उन्होंने कहा कि यह हमाारा दुर्भाग्य हे कि आज के युवा साहित्य तथा संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं। उनका मानना है कि आज के युवाओं को अतीत से ज्ञान प्राप्त कर, वर्तमान में जी कर, अपनी संस्कृति को भविष्य के लिए सुरक्षित रखना होगा तभी हमारी बुन्देलखण्ड की संस्कृति और साहित्य सुरक्षित रह पाएगा तथा हम आने वाली पीढियों को समृद्ध साहित्य और संस्कृति दे सकेंगें। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में के संकायाध्यक्ष-वाणिज्य संकाय प्रो.प्रतीक अग्रवाल ने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि बुन्देलखण्ड के साहित्यिक जगत के महान हस्ताक्षर डाॅ.बृंदावन लाल वर्मा की जयंती के अवसर पर आयोजित इस समारोह में उन्हे सम्मिलित होने का सुअवसर प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि वह भी इस क्षेत्र के मूल निवासी हैं परन्तु आज डॉ.कुशवाहा द्वारा दिये गये उदाहरणों से उनकी पुरानी यादें ताजा हो गई है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को बुन्देलखण्ड की संस्कृति एवं साहित्य का अध्ययन अवश्य करना चाहिए ताकि वे इस से रूबरू हो सकें। कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक डॉ.मुन्ना तिवारी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की तथा डा.बृंदावन लाल वर्मा के व्यक्तित्व एवं साहित्यिक कृतित्व पर प्रकाश डाला। डॉ तिवारी ने कहा कि बृंदावन लाल वर्मा की कृतियों में बुंदेली जीवन के हर पहलू को इतिहास के साथ पिरोया गया है तथा उनकी सभी कृतियां अपने आप में सम्पूर्ण इतिहास समेटे हुए हैं। उन्होंने उपस्थित छात्र-छात्राओं का आव्हान किया कि वह डा.वर्मा की पुस्तकों नाटकों तथा उपन्यासों को अवश्य पढ़ें ताकि उन्हें बुंदेली साहित्य एवं संस्कृति की जानकारी हो सके। डा.तिवारी ने कई उदाहरण देकर स्पष्ट किया कि डॉ.वर्मा के नाटकों एवं उपन्यासों में आम जनजीवन के मानवीय कथा को विभिन्न पात्रों के माध्यम से उकेरा गया है। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में पत्रकारिता विभाग के पूर्व प्रमुख डॉ सी.पी. पैन्यूली ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण पुष्पार्चन तथा दीप प्रज्वलन से प्रारंभ हुआ। कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी डॉ अनुपम व्यास ने किया जबकि आमंत्रित अतिथियों का आभार वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी डॉ. श्वेता पाण्डेय ने व्यक्त किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय सेवा योजना के नोडल अधिकारी डॉ उमेश कुमार, डॉ प्रशांत मिश्रा, डॉ शुभांगी निगम, डॉ. भुवनेश मस्तानिया, इंजी बृजेश लोधी सहित विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना के विभिन्न इकाइयों की स्वयंसेवक उपस्थित रहे। हिन्दुस्थान समाचार/महेश-hindusthansamachar.in

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