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ग्रामीण आवास योजना में अपात्रों से हो रही रिकवरी, सचिवों पर अधिकारी मेहरबान

उन्नाव, 04 मार्च (हि.स.)। जनपद के 16 विकास खंडों में गरीबों को पक्की छत मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना चलायी जा रही है। लेकिन सचिवों ने पूर्व प्रधानों के इशारों पर अपात्रों का चयन कर इस योजना कि हवा निकाल दी है। अब अपात्र लाभार्थियों से रिकवरी की जा रही है। अब तक 17.20 लाख रुपये की धन वापसी हो चुकी है। लेकिन गलत चयन करने वाले सचिवों पर बहुत कम कार्रवाई होने से सवालिया निशान लग रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र के बेघर व कच्चे घरों में रहने वाले गरीबों को पक्का आवास देने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना चलाई। ग्रामीण आवास योजना में लाभार्थियों का चयन 2011 में हुई सामाजिक, आर्थिक जनगणना (सेक सूची) से करने की व्यवस्था थी। उन गरीब पात्रों को सरकार ने प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के तहत पक्का मकान बनाने के लिए अनुदान देने की व्यवस्था की। योजना के तहत लाभार्थियों को तीन किस्तों में 1.20 लाख की धनराशि दी जाती है। हालांकि, योजना में ग्राम पंचायत स्तर के जिम्मेदारों ने खूब अवैध कमाई की। सचिवों ने ले-देकर ऐसे लोगों को आवास योजनाओं का लाभार्थी बना दिया जो पूरी तरह से अपात्र थे। इस तरह की शिकायतें आला अधिकारियों तक पहुंचती रहती है। इसकी भनक मिलने पर सीडीओ ने जांच कराई तो भारी संख्या में अपात्र मिले। इसमें सबसे ज्यादा 29 अपात्र औरास ब्लाक में मिले। सभी के पास पूर्व से ही पक्के आवास होने की पुष्टि हुई। इसके अलावा बांगरमऊ में 5, नवाबगंज, हसनगंज में 3-3, सुमेरपुर में 2 और असोहा में 1 अपात्र मिला। इन सभी को पहली किस्त के रूप में 40 हजार रुपये जारी हुए थे। जिसकी 17.20 लाख रुपये की रिकवरी कराकर शासन के खाते में भेज दिया गया है। डॉ राजेश कुमार प्रजापति, मुख्य विकास अधिकारी ने बताया योजना में अपात्र शामिल हुए हैं तो इसकी सीधी जिम्मेदारी पंचायत सचिव की है। इसी कारण सचिवों पर भी कार्रवाई की जाएगी। हिन्दुस्थान समाचार/अरुण

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