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रामचरित मानस के दर्शन - श्रवण करने मात्र से धन्य हो जाता है जीवन - दीनबन्धु दास

चित्रकूट,14 अप्रैल (हि.स.) | श्री रघुवीर मंदिर ट्रस्ट बडी गफा जानकीकुण्ड चित्रकूट में चैत्र रामनवमी के शुभ अवसर पर श्री मलूक पीठाधीश्वर परमपूज्य राजेन्द्रदास जी महाराज के कृपापात्र दीनबन्धु दास जी महाराज के श्रीमुख से वर्चुअल ( ऑनलाइन ) श्रीरामचरित मानस कथा चल रही है । कथा के दूसरे दिन बुधवार को महाराज जी ने बताया कि भगवान की कृपा पाने के लिये भक्त का हृदय सरल होना चाहिये । तुलसीदास जी महाराज ने रामचरित मानस ग्रंथ की रचना कर हम सबको अदभुद उपहार दिया है । मनुष्य को किसी तीर्थ का फल प्राप्त करने के लिये उस तीर्थ स्थान तक जाना पड़ता है किन्तु तुलसीदास जी महाराज की कृपा से रामचरित मानस रूपी तीर्थ का फल हमें घर बैठे ही मिल जाता है । जिस ग्रंथ में साक्षात रघुवीर जी विराजमान हो उसके दर्शन करने , श्रवण करने मात्र से जीवन धन्य हो जाता है । दीनबंधु दास जी ने बताया कि बिना श्रद्धा और विश्वास के कोई भी कार्य किया जाये उसमें सफलता कभी नहीं मिलती है । परमात्मा की भक्ति हो या कर्म क्षेत्र हो जितनी ज्यादा श्रद्धा होगी लाभ भी उतना अधिक मिलेगा । उन्होने बताया कि गुरु के मार्गदर्शन से ही जीवन में सफलता मिलती है। जिस प्रकार तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना भगवान शिव को गुरु मानकर की । गुरु की महिमा ऐंसी होती है कि वह अपने भक्त के सभी दोषों को गुणों में बदल देता है । जो दुर्बुद्धि को सदबुद्धि में बदल दे वहीं सदगुरु है । गुरु के मार्गदर्शन से भक्त को भगवान का आश्रय मिलता है । जब भक्त को परमात्मा की कपा प्राप्त हो जाती है तब कोई भी किंचित मात्र अनहित नहीं कर सकता । रघुवीर जी के चरित्र से सीखकर स्वयं को सरल बनाये और प्रेम को आधार बनाकर जीवन यापन करना चाहिये । भक्तगण यूटयूब के माध्यम से वर्चुअल रामकथा का आनंद उठाकर स्वयं को धन्य कर सकते हैं । हिन्दुस्थान समाचार /रतन

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