राजा तो हमारा राम जैसा ही होना चाहिये : नीलकंठ तिवारी
राजा तो हमारा राम जैसा ही होना चाहिये : नीलकंठ तिवारी

राजा तो हमारा राम जैसा ही होना चाहिये : नीलकंठ तिवारी

पर्यटन मंत्री ने ऑनलाइन रामायण विश्व महाकोश की तैयारी बैठक की वाराणसी, 06 जुलाई (हि.स.)। प्रदेश के संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. नीलकंठ तिवारी ने कहा कि सातवीं शताब्दी से ही भारत पर अनेकानेक कारणों से लगातार हमले होते रहे। आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक क्षेत्रों में अपूरणीय क्षति पहुंचाई गयी। यहां तक कि सुनियोजित रूप से अनुचित व असंगत इतिहास लेखन किया गया। राज्यमंत्री तिवारी सोमवार को रामायण विश्व महाकोश की तैयारी बैठक को वर्चुअल सम्बोधित कर रहे थे। बैठक की अध्यक्षता करते हुए राज्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान काल सांस्कृतिक पुनर्जागरण का काल है। जिसके सबसे बड़े प्रतीक राम है। उन्होंने कहा कि रामलीला खेलते समय प्रारम्भ, मध्य व अंत में राजा राम का जयकारा लगाया जाता है। तो उसका भी विशेष अर्थ व संकेत है, चाहे बाबा तुलसी का समय हो या पराधीनता का काल का, उस समय राजा ही आततायी था। इसी से मुक्ति के लिये राम राज्य की परिकल्पना जन मानस में थी। राजा तो हमारा राम जैसा ही होना चाहिये। बैठक में प्रो. राना पी. वी. सिंह ने कहा कि महाविश्वकोश का लेखन विशेष लेखन है। इसमें श्रद्धा, आस्था विश्वास बहुत ज़रूरी है। रामायण संस्कृति के बारे में भौगोलिक , आध्यात्मिक, सॉस्कृतिक व वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखना होगा। प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित ने परियोजना के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि सभी भाषाओं बोलियों के लिखित अलिखित साहित्य के साथ मूर्त व अमूर्त विरासत के राम तत्वों को विशद अन्वेषण समय की आवश्यकता है। रामायण विश्व महाकोश की तैयारी की 21वीं बैठक में बंगाल टीम की समन्वयक डॉ. अनीता बोस, मध्य प्रदेश टीम के समन्वयक डॉ. राजेश श्रीवास्तव, छत्तीसगढ़ टीम के समन्वयक डॉ ललित शर्मा ने विचार रखा। डॉ. राजेश श्रीवास्तव निदेशक रामायण केंद्र भोपाल ने मध्यप्रदेश की तैयारी से अवगत कराया। प्रो. नीतू सिंह ने मैदानी रामलीला पर कार्य हेतु योजना पर चर्चा की। मनीष ने वाराणसी की अनेक परम्पराओं में राम संदर्भों पर कार्य करने की सम्भावना से अवगत कराया। धन्यवाद ज्ञापन प्रो. प्रभाकर सिंह ने किया। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/दीपक-hindusthansamachar.in

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