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रज्जू भैया सामाजिक समरसता के अग्रदूत : प्रांत प्रचारक

प्रयागराज, 29 जनवरी (हि.स)। प्रोफेसर राजेंद्र सिंह रज्जू भैया सामाजिक समरसता के अग्रदूत थे। उन्होंने कहा था कि समरस भारत होने पर ही समर्थ भारत का निर्माण हो सकता है। कार्यकर्ता रज्जू भैया के आदर्शों को अपने जीवन में उतारकर उनके सपनों का भारत बनाने में लग जाएं। यह बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक रमेश ने रज्जू भैया की जयंती पर शुक्रवार की शाम स्वरूप रानी नेहरू मेडिकल कॉलेज के मेहता प्रेक्षागृह में संबोधित करते हुए कही। सामाजिक समरसता के प्रतिमूर्ति प्रोफेसर राजेंद्र सिंह रज्जू भैया विषय पर आयोजित गोष्ठी में प्रांत प्रचारक ने संघ के चतुर्थ सरसंघचालक प्रोफेसर राजेंद्र सिंह रज्जू भैया को सामाजिक समरसता का अग्रदूत बताते हुए कहा कि सच्चे अर्थों में रज्जू भैया सामाजिक समरसता की प्रतिमूर्ति थे। समरसता उनके आचरण में थी व्यवहार में थी। अहंकार का उनके जीवन में समावेश नहीं था सभी कार्यकर्ताओं से आत्मीयता पूर्ण सम्बंध रखते थे। वे कहा करते थे जब तक समाज समरस नहीं होगा तब तक देश समर्थ नहीं होगा। सब समाज को लिए साथ में आगे है बढ़ते जाना उनके जीवन का मूल मंत्र था। उन्होंने देश में समरसता लाने के लिए अपना संपूर्ण जीवन राष्ट्र को समर्पित कर दिया। उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए प्रांत प्रचारक ने आगे कहा कि रज्जू भैया स्वयं कबड्डी के बहुत अच्छे खिलाड़ी थे। संघ में भी वे कबड्डी के आकर्षण से ही खींचे चले आए और 1942 में संघ का प्रथम वर्ष का प्रशिक्षण प्राप्त कर उत्तरोत्तर आगे बढ़ते चले गए।संपूर्ण भारतीय समाज के लिए उनका जीवन अनुकरणीय है। इतने बड़े पद पर होने के बावजूद ट्रेन में तृतीय श्रेणी की बोगी में यात्रा करते थे। बलिया के कार्यकर्ता उन्हें उनके आगमन पर जब प्रथम श्रेणी की बोगी में उन्हें खोज रहे थे तो वे उसमें नहीं मिले। स्वयं ही तृतीय श्रेणी की बोगी से उतर कर कार्यक्रम में पहुंचे। प्रांत प्रचारक ने रज्जू भैया के साथ बिताए गए अपने कुछ पल का जिक्र किया और कहा कि एक-एक कार्यकर्ता को नाम लेकर बुलाते थे। वह कहा करते थे सभी समस्याओं का समाधान प्रखर राष्ट्रवाद है। संगठन खड़ा करो सभी समस्याएं हल हो जाएंगी। वे कहते थे भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना नहीं है यह स्वयं हिंदू राष्ट्र है, इसे और प्रखर बनाना है। इसके पूर्व विशिष्ट अतिथि प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री नरेंद्र सिंह गौर ने रज्जू भैया के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। कहा कि मैंने जो कुछ भी सीखा है वह रज्जू भैया से सीखा है। प्रयाग की भरद्वाज शाखा से रज्जू भैया स्वयंसेवक बने। उनके आदर्श स्वयंसेवकों के लिए अनुकरणीय है। श्री गौर ने कहा कि रज्जू भैया कहा करते थे कि सही मार्ग पर चलना किसी को नाराज मत करना। उनके बताए रास्ते पर मैं लगातार चल रहा हूं। आपातकाल में कार्यकर्ताओं की हर तरह से सहायता कर रज्जू भैया ने समरसता वादी दृष्टि का परिचय दिया था। न्याय विद अशोक मेहता ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा रज्जू भैया की वैज्ञानिक सोच कार्यकर्ताओं के लिए अनुकरणीय है। कार्यकर्ता रज्जू भैया के आदर्शों पर चलकर समृद्ध भारत का निर्माण करें। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। मंच पर काशी प्रांत संघचालक विश्वनाथ लाल निगम की उपस्थित रहे। गोष्ठी का संचालन विभाग सामाजिक समरसता प्रमुख रामेश्वर शुक्ल एडवोकेट ने किया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के विशेष संपर्क प्रमुख आलोक मालवीय, सह प्रांत कार्यवाह रासबिहारी, प्रांत प्रचार प्रमुख डॉ मुरार त्रिपाठी, विभाग प्रचारक कृष्णचंद्र, सह विभाग प्रचारक डॉ पीयूष, प्रांत बौद्धिक प्रमुख डॉ सत्यपाल, मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ एस पी सिंह समेत बड़ी संख्या में डॉक्टर वकील शिक्षक प्रधानाचार्य आदि उपस्थित थे। इस अवसर पर रज्जू भैया के जीवन काल में प्रयाग में कार्य करने वाले प्रमुख कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया गया। जिनमें प्रांत संघचालक डॉ विश्वनाथ लाल निगम, डॉ शालिग्राम गुप्ता, गंगा दत्त जोशी, कार्यालय प्रमुख बलराम, रामकृष्ण पांडे, रामकृष्ण मिश्र आदि प्रमुख रूप से रहे। हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/मोहित-hindusthansamachar.in

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