Proper maintenance of fruits and vegetables in cold, timely spraying of medicine is necessary
Proper maintenance of fruits and vegetables in cold, timely spraying of medicine is necessary

ठंड में फल एवं सब्जियों का करें उचित रख-रखाव, समय से दवा का छिड़काव जरूरी

-उद्यान विशेषज्ञ ने किसानों के लिए दिये कई अहम सुझाव लखनऊ, 04 जनवरी (हि.स.)। कड़ाके की ठंड के बीच केला, टमाटर, लहसून, आंवला, पपीता के साथ ही आम के बागों को भी रोग से बचाने के लिए किसानों को सतर्क रहने की जरूरत है। इस मौसम में आम को मैंगोबिल्ट एवं डाईबैक रोग से बचाए जाने के लिए उचित समय पर प्रबंधन किया जाना जरूरी है। इस संबंध में मुख्य उद्यान विशेषज्ञ मलिहाबाद डॉ. राजीव कुमार वर्मा ने बताया कि आम के बागों को सूखा रोग (बिल्ट रोग) से बचाने हेतु प्रभावित सूखी टहनियों को काटकर काटे गए स्थान पर बोर्डो पेस्ट (1ः1ः10) अथवा पांच प्रतिशत कॉपर ऑक्सिक्लोराइड दवा का घोल लगाएं। मैंगो डाई बैक रोग में टहनियां ऊपर से नीचे की ओर सूखने लगती हैं। इससे पेड़ की बढ़वार रुक जाती है। इसकी रोकथाम हेतु सूखे हुए भाग से लगभग 15-20 सेंटीमीटर नीचे की ओर प्रभावित टहनियों को काटकर कटे भाग पर पांच प्रतिशत कॉपर ऑक्सिक्लोराइड का लेप लगाएं या कॉपर ऑक्सिक्लोराइड अथवा कॉपर हाइड्राक्साइड 0.3 प्रतिशत का 15 दिन के अंतराल पर दो छिड़काव करें। छोटे पेड़ों को पाले से बचाने के लिए करें धुआं डॉ. राजीव कुमार वर्मा ने बताया कि छोटे पेड़ों को पाले से बचाने के लिए धुआं करना अथवा आवश्यकतानुसार सिंचाई करना। तना छेदक कीड़े का प्रकोप होने पर उनके द्वारा बनाए गए छिद्रों में ड्राईक्लोरोवास कीटनाशक दवा का घोल भरे तथा छिद्रों को गीली मिट्टी से बंद कर दें। बाग की जुताई-गुड़ाई व सफाई बौर के 3-4 इंच का होने पर घुलनशील गंधक 400 ग्राम तथा भुनगा कीट के प्रकोप की दशा में जब 5-10 भुनगे प्रती बौर दिखाई दें। तभी क्वीनालफास, डाई मेथोएट 400 मिलीलीटर प्रति 200 लीटर पानी में अथवा इमिडाक्लोप्रिड 03 मिलीलीटर 10 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रथम छिड़काव करें। केले में 15 दिन के अंतर पर करें सिंचाई केले की रखवाली के संबंध में डाक्टर राजीव कुमार वर्मा ने बताया कि केले में 15 दिन के अन्तर पर सिंचाई तथा एफिड के रोकथाम के लिए डाइमेथोएट (2 मिली. प्रति ली. पानी) रसायन का पहले तथा तीसरे सप्ताह में छिड़काव करना चाहिए। अवांछित पुत्तियों को निकालकर बाग की सफाई करना जरूरी है। अमरूद के उकठा रोग के लिए करें ब्लिंचिंग उन्होंने कहा कि अमरुद के पके फलों को तोड़कर बाजार भेजना तथा चिडियों से बाग की रक्षा करने के साथ ही उकठा रोग की रोकथाम हेतु कार्बन्डाजिम के 0.1 प्रतिशत घोल की 20-25 ली. प्रति. थाला की दर से ब्लीचिंग करना जरूरी है। बाग की गुड़ाई-सफाई एवं पौधों की सिंचाई करनी चाहिए। इसी तरह आंवला की देर से पकने वाली किस्मों में फलों की तुड़ाई एवं विपणन तथा बाग की सिंचाई करना जरूरी है। पपीता के पौधों से तैयार फलों की तुड़ाई एवं विपणन के बाद अगले माह पौधे लगाने हेतु गड्ढों की खुदाई करना जरूरी है। बागों में सिंचाई भी कर लें। टमाटर, आलू व मिर्च को बचाएं झुलसा रोग से उन्होंने कहा कि टमाटर, बैंगन, मिर्च व आलू में आवश्यकतानुसार सिंचाई, निराई, गुड़ाई तथा झुलसा रोग से बचाव हेतु मैंकोजेब 0.2 प्रतिशत (2 ग्राम प्रति लीटर पानी में) तथा माहू से बचाव हेतु डायमिथोएट 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। अगेती आलू की खुदाई तथा विपणन एवं बीजोत्पादन फसल की लाक काटना, माह के अंत से आलू की खुदाई शुरू कर दें। बैंगन के तैयार फलों की तुड़ाई एवं विपणन तथा अवांछित पौधों को निकालने का काम चलते रहना जरूरी है। मटर को बचाव के साथ ही गुलाब का कलम जरूरी वहीं मटर की फलियां तोड़ना। बीज की फसल से अवांछित पौधे उखाड़ना तथा बुकनी रोग (पाउडरी मिल्ड्यू) से बचाव हेतु 2.5 किग्रा. प्रति 1000 लीटर पानी में प्रति हेक्टेयर की दर से घुलनशील गंधक का छिड़काव जरूरी है। लहसुन की 15 दिन के अंतर पर सिंचाई, गुड़ाई एवं निराई कर खर-पतवार निकालना चाहिए। गुलाब की क्यारियों की निराई गुड़ाई आवश्यकतानुसार सिंचाई, वडिंग तथा जमीन में इसके कलम लगाने का कार्य। माहू से बचाव हेतु डायमिथोएट 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी के घोल का छिड़काव करना जरूरी है। हिन्दुस्थान समाचार/उपेन्द्र/संजय-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in