दूरस्थ शिक्षा आज सबसे अधिक प्रासंगिक : प्रो नागेश्वर राव
दूरस्थ शिक्षा आज सबसे अधिक प्रासंगिक : प्रो नागेश्वर राव

दूरस्थ शिक्षा आज सबसे अधिक प्रासंगिक : प्रो नागेश्वर राव

प्रयागराज, 03 जुलाई (हि.स.)। वर्तमान समय में दूरस्थ शिक्षा का महत्व बढ़ा है। कोरोना काल में परंपरागत विश्वविद्यालय एवं मुक्त विश्वविद्यालय के बीच की दूरी कम हो गई है। आज दोनों प्रकार के विश्वविद्यालय समान हो गए हैं। सबसे प्रासंगिक माध्यम दूरस्थ शिक्षा हो गई है। आज अभिभावक और विद्यार्थी दोनों विश्वविद्यालय नहीं जाना चाहते हैं, इसलिए घर बैठ कर दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं और प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकते हैं। यह बातें मुख्य अतिथि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के कुलपति प्रो. नागेश्वर राव ने उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के तत्वावधान में शुक्रवार को आयोजित उत्तर कोरोना काल में दूरस्थ शिक्षा विषय पर ऑनलाइन व्याख्यान में सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि दूरस्थ शिक्षा के पास पहले से पाठ्य सामग्री उपलब्ध है। लेकिन परंपरागत विश्वविद्यालय के पास यह सब उपलब्ध नहीं है। आज पूरे भारत में कुल 14 मुक्त विवि हैं, जहां बीस लाख विद्यार्थी अध्ययन करते हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में कोरोना के बाद यह संख्या 40 लाख पहुंच जाएगी। आज ऑनलाइन चार करोड़ से ज्यादा पुस्तकें उपलब्ध हैं। दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से कुल 35 चैनल शिक्षाप्रद जानकारी दे रहे हैं, जिसका लाभ घर बैठे उठाया जा सकता है। दूरस्थ शिक्षा का महत्व बढ़ा है। ऑनलाइन शिक्षा के अलावा कोई विकल्प नहीं है। आने वाला कल दूरस्थ शिक्षा का : प्रो केएन सिंह अध्यक्षता करते हुए उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विवि के कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह ने कहा कि कोरोना काल में जीवन चिंतित है। किंकर्तव्यविमूढ़ के दौरान दूरस्थ शिक्षा का महत्व बढ़ा है। दूरस्थ शिक्षा का भविष्य है वर्तमान भी है। उन्होंने कहा कि शिक्षार्थियों में अभी भी दूरस्थ शिक्षा के प्रति भ्रम की स्थिति है परंतु दूरस्थ शिक्षा से प्राप्त की गई शिक्षा किसी भी मामले में परंपरागत शिक्षा से भिन्न नहीं है। उन्होंने शिक्षकों का आह्वान किया कि अधिक से अधिक ई-कंटेंट निर्मित करें जिससे दूरस्थ शिक्षा माध्यम के शिक्षार्थी ही नहीं अपितु समाज के सभी शिक्षार्थियों को लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि आने वाला कल दूरस्थ शिक्षा का ही होने जा रहा है। प्रत्येक व्यक्ति तक यह शिक्षा पहुंच में रहे ऐसा प्रयास करना चाहिए। कार्यक्रम के समन्वयक प्रो. पी.पी दुबे, निदेशक, कृषि विज्ञान विद्या शाखा ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि कोई भी आपदा का आगमन स्वागत योग्य नहीं होता है। किंतु इस आपदा ने उत्तर कोरोना काल में दूरस्थ शिक्षा के क्षेत्र में हमें कुछ करने के लिए अवसर प्रदान किया है। इस दौरान ऑनलाइन शिक्षा का प्रचलन एवं स्वीकार्यता काफी तेजी से बढ़ी है। जिसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि उत्तर कोरोना काल में दूरस्थ शिक्षा की उपादेयता काफी रहेगी और यह माध्यम प्रासंगिक रहेगा। डॉ. गिरीश कुमार द्विवेदी सहायक आचार्य शिक्षा विभाग ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम के आयोजन सचिव उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विवि के क्षेत्रीय कार्यालय आजमगढ़ के समन्वयक डॉ.श्याम दत्त दुबे ने मंत्रोचार करके कार्यक्रम का प्रारम्भ किया। उन्होंने सभी वक्ताओं एवं अतिथियों का स्वागत किया। हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/राजेश-hindusthansamachar.in

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